नई दिल्लीः भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए जाने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
शोमा सेन को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और वह तभी से मुंबई की बायकला महिला जेल में बंद हैं.
वह उन दर्जनभर शिक्षाविदों, वकीलों और कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिन्हें एनआईए ने इस मामले में आरोपी बनाया है.
शोमा सेन ने अपनी याचिका में अमेरिका की एक डिजिटल फॉरेंसिक संस्थान ‘आर्सेनल कंसल्टिंग’ की एक रिपोर्ट का उल्लेख किया है, जिसमें दावा किया गया है कि एक साइबर हमले के जरिये कार्यकर्ता रोना विल्सन की गिरफ्तारी से पहले उनके लैपटॉप में सेंध लगाई गई थी.
आर्सेनल कंसल्टिंग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था, ‘दिल्ली में विल्सन के आवास पर छापेमारी और औ पुणे पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने के कम से कम 22 महीने पहले साइबर हमलावर ने कथित तौर पर उनके लैपटॉप तक पहुंच बनाई थी और उस समय उनके लैपटॉप में 10 आपत्तिजनक पत्र रख दिए थे.’
पुणे पुलिस और अब एनआईए का कहना है कि उन्होंने विल्सन के कंप्यूटर से उनके और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के बीच भेजे गए पत्र बरामद किए हैं.
एनआईए ने इन कथित पत्रों का इस्तेमाल विल्सन को 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद की सभा से जोड़ने के संदर्भ में भी किया, जिसे लेकर पुलिस का आरोप है इस कार्यक्रम की माओवादियों ने फंडिंग की थी.
रिपोर्ट में कहा गया कि रोना विल्सन इस मामले में शोमा सेन के साथ सह-आरोपी हैं और उन्होंने खुद और अन्य के खिलाफ हुई कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए इस साल फरवरी में हाईकोर्ट का भी रुख किया था.
सेन ने अपनी याचिका में कहा कि उनके खिलाफ पूरा मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के दम पर तैयार किया गया था, जिसे एनआईए ने विल्सन के कंप्यूटर से बरामद होने का दावा किया था.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सेन ने कहा कि उनके खिलाफ इकट्ठा किए गए सबूत फर्जी हैं और डिवाइस में प्लांट किए गए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, सेन की याचिका में कहा गया कि एनआईए द्वारा पेश की गई क्लोन प्रतियों के एक स्वतंत्र स्रोत द्वारा सत्यापित होने पर उनके खिलाफ सबूतों के फर्जी और प्लांट किए जाने का पता चला है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘सेन ने बताया कि फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी रिपोर्ट में मालवेयर या सबूतों पर कुछ नहीं कहा गया, जिससे पता चलता कि इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई.’
सेन ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि एनआईए की रिपोर्ट को सबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि वे प्रामाणिकता के मानकों पर खरे नहीं उतरते.
उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कानून की नजरों में इस तरह के सबूतों का कोई महत्व नहीं होना चाहिए.’
उनके वकील राहुल अरोटे ने कहा कि याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है.
बता दें कि शोमा सेन ने पिछले साल मार्च में मेडिकल आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया था.
कई बीमारियों से जूझ रहीं सेन को जेल में कोरोना का संभावित खतरा था, लेकिन एनआईए की विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.