इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे एक दिन पहले ही जिला प्रशासन ने फतेहपुर चौरासी और असोहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों को हटा दिया था.
हालांकि, जिला प्रशासन ने आरोप से इनकार किया और दावा किया कि दोनों अधीक्षकों को नीति के अनुसार स्थानांतरित कर दिया गया था.
इस मुद्दे के समाधान के लिए जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने 14 स्वास्थ्य केंद्रों के अधिकारियों के साथ बैठक करने की बात कही है.
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के जिला महासचिव डॉ. संजीव कुमार ने कहा, ‘हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया है, क्योंकि पिछले साल से चौबीसों घंटे काम करने के बावजूद हमें नियमित रूप से परेशान किया जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जेल भेजने की धमकी भी दी जा रही है. वे हम पर जिम्मेदारी से काम नहीं करने का झूठा आरोप लगाकर डांटते हैं.’
वह गंज मुरादाबाद स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक भी हैं और उन 14 में से हैं, जिन्होंने इस्तीफे की पेशकश की है. 14 में से चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक हैं, जबकि 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी हैं.
डॉ. संजीव कुमार ने दावा किया कि असोहा और फतेहपुर चौरासी केंद्रों के अधीक्षकों को खुद का बचाव करने का मौका दिए बिना हटा दिया गया था.
इन मुद्दों को जिलाधिकारी के साथ बैठक में उठाने की बात कहते हुए डॉ. कुमार दावा करते हैं, ‘दोनों स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक ईमानदारी के साथ अपना काम कर रहे थे. फतेहपुर चौरासी के अधीक्षक डॉ. प्रेम चंद कोविड पॉजिटिव हैं. प्रशासन ने उनसे स्पष्टीकरण व जवाब मांगे बिना कार्रवाई की.’
उन्नाव के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आशुतोष कुमार ने कहा कि वह नहीं जानते थे कि जिला प्रशासन से अधीक्षक नाराज थे.
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की हरकत करने से पहले उन्हें अपनी समस्या मुझसे साझा करनी चाहिए थी. मुझे आज शाम को इस मामले के बारे में पता चला जब मैं अपने कार्यालय में वापस लौटा. मैंने इसके बारे में जिलाधिकारी से बात की और उन्होंने बैठक बुलाई है. हमें उम्मीद है कि मामला जल्द सुलझ जाएगा.’
सीएमओ ने दावा किया कि हर किसी के काम की निगरानी कई स्तरों पर और कभी-कभी सख्ती से की जाती है, लेकिन कोई किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं करता है.
उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य केंद्रों के दो प्रभारियों को स्थानांतरण नीति के अनुसार हटा दिया गया था. प्रदर्शन के अनुसार कार्रवाई की गई.’