नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में रमजान के दौरान 50 लोगों को दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करने की इजाजत दे दी.
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने निजामुद्दीन पुलिस थाने के थानाध्यक्ष को निर्देश दिया के वो दिन में पांच बार 50 लोगों को मस्जिद बंगले वाली की पहली मंजिल पर नमाज के लिए प्रवेश की इजाजत दें.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अदालत ने कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान लोगों को दिन में पांच बार नमाज अदा करनी होती है. साथ ही इस बात का भी ख्याल रखना पड़ता है कि दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 के मद्देनजर संक्रमण का प्रसार न हो और इसका असर जनता पर न पड़े. क्योंकि बड़े पैमाने पर लोग नमाज अदा करने के लिए मस्जिद आएंगे. इसलिए एसएचओ को निर्देश दिया जाता है कि वे मस्जिद की पहली मंजिल पर 50 लोगों को दिन में पांच बार नमाज अदा करने की अनुमति दें.’
दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने मांग की थी कि संख्या बढ़ाई जाए और मस्जिद की अन्य मंजिलों के इस्तेमाल की भी इजाजत दी जाए, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.
अदालत ने हालांकि उन्हें इस आशय का अनुरोध थाना प्रभारी के समक्ष करने की इजाजत दे दी.
अदालत ने कहा कि एसएचओ वक्फ बोर्ड द्वारा दिए गए ऐसे किसी आवेदन पर कानून के मुताबिक विचार कर सकते हैं.
अदालत ने कहा, ‘दिल्ली में दिन-ब-दिन स्थिति खराब होती जा रही है. कृपया गंभीर स्थिति के प्रति सचेत रहें.’
अदालत ने यह भी कहा कि उसका आदेश राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी अधिसूचना से प्रभावित हो सकता है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 50 लोगों को रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज में दिन में पांच बार नमाज अदा करने की अनुमति देते हुए कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अधिसूचना में धार्मिक स्थलों को बंद करने के कोई विशेष निर्देश नहीं हैं.
तबलीगी जमात ने फैसले का स्वागत किया
तबलीगी जमात ने बृहस्पतिवार को रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज में दिन में पांच बार 50 लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया.
तबलीगी जमात के प्रवक्ता जिश्ना अली ने कहा कि वे कोरोना वायरस संबंधी सभी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे.
अली ने कहा, ‘हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं. हम इस महामारी से लड़ने और उसे हराने के लिए कोविड-19 के बारे में जारी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे.’
गौरतलब है कि देश में कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में वहां पिछले साल तबलीगी जमात का एक धार्मिक कार्यक्रम हुआ था और इसे पिछले साल 31 मार्च से बंद रखा गया है.
केंद्र ने 24 मार्च को कहा था कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को शब-ए-बारात के दौरान मस्जिद में नमाज अदा करने की इजाजत दी जा सकती है.
बीते 12 अप्रैल को अदालत ने कहा था कि मरकज में प्रवेश के लिए संख्या निर्धारित नहीं कर सकते, क्योंकि अन्य स्थलों पर ऐसा कोई नियम नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि किसी और धार्मिल स्थल पर पूजा करने वालों के लिए संख्या संबंधी कोई नियम न होने के चलते निजामुद्दीन मरकज में भी इबादत करने वालों की कोई निश्चित संख्या तय नहीं की जा सकती. रमजान के लिए मस्जिद बंगले वाली को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रार्थना के लिए खोलने का आदेश दिया था.
हालांकि, दिल्ली वक्फ बोर्ड ने नियमों में ढील दिए जाने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
बता दें कि पिछले साल मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात का मरकज कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा था. मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुई थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था.
इनके अलावा देशभर के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था, जिनमें से कई कोरोना संक्रमित पाए गए थे. इसे लेकर मुस्लिम समुदाय पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया गया था.
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मरकज में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम और विदेशियों के ठहरने के संबंध में महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेश अधिनियम और दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.