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मेरी चिंता मुसलमान नहीं है, मेरी चिंता पाकिस्तान भी नहीं है। Featured

  22 August 2020
मेरी चिंता मुसलमान नहीं है, मेरी चिंता पाकिस्तान भी नहीं है। मैं हमेशा यही सोचता हूं कि कहीं मेरे बच्चे, मूर्ख-धार्मिक, दूसरों से नफरत करने वाले, पिछड़ी सोच वाले तो नहीं बन रहे ?
मैं कोशिश करता हूं कि मेरे बच्चे, सारी दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने वाले, बुद्धिमान तर्कवान खुले दिमाग के और वैज्ञानिक सोच वाले बनें।
खुद हमेशा उदारता, खुले दिल और विज्ञान की बात फैलाता हूं। कहीं मुझे, प्रकारांतर में भी एक भी शब्द जातीय धार्मिक नफरत का बोलते या बताते न सुन सकें। वही बातें सीधे अपने बच्चों को बताता हूं । मैं हमेशा कट्टरता का विरोध करता हूं, नफरत का विरोध करता हूं, जहालत का विरोध करता हूं ।
बच्चों को बताता हूं कि तुम्हारा हिंदू घर में पैदा होना महज एक इत्तेफाक है ।तुम मुसलमान घर में भी पैदा हो सकते थे । तुम्हारा इस जाति में पैदा होना भी एक इत्तेफाक है।।तुम दूसरी जाति में भी पैदा हो सकते थे
तुम्हारा भारत में पैदा होना भी महज एक इत्तफाक है । तुम पाकिस्तान बांग्लादेश या किसी और देश में भी पैदा हो सकते थे। इसलिए इत्तफाक से हुई किसी भी चीज पर गर्व मत करो। इत्तेफाक से कहीं और पैदा हुए लोगों से नफरत मत करो । यही वैज्ञानिक सोच है। यही मानवीय सोच है।
मैंने धर्म से किनारा नही किया। उन्हें रामायण, महाभारत, राम कृष्ण कबीर की किसी हमउम्र बच्चे से अधिक जानकारी है। मगर हर कृत्य और चमत्कार का वैज्ञानिक और दोतरफा विश्लेषण भी है। इसलिए उन्हें रावण की दिव्य ज्ञान और दुर्योधन के राइटफुल क्लेम की जानकारी भी है। उन्हें न्याय की बेसिक समझ है।
मैं जो कुछ कर रहा हूं, लिख या कह रहा हूं, वो छ्द्म धर्मनिरपेक्षता के लिए या समाज मे समभाव फैलाने के स्वयम्भू ठेके के तहत नही होता। ये मेरा स्वार्थ से भरा, बेहद निजी कारण है, ये मैं अपने बच्चों को, उंसके आसपास कभी भी भड़क सकने वाली हिंसा से बचाने के लिए कर रहा हूं। क्योंकि जब तक यह धार्मिक जहालत कट्टरता और मूर्खता रहेगी दुनिया से हिंसा नहीं जाएगी।
लेकिन मुझे तो उन्हें सुरक्षित, सानंद बढ़ते हुए देख देख कर बूढ़ा होना है।
 
from manish singh facebook wall

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