मई 2016 में, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने जब चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर के लिए तेहरान की यात्रा की थी, उसी दौरान भारतीय रेलवे ने ईरानी रेल मंत्रालय के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब इस प्रोजेक्ट में भारत की जगह चीन की एंट्री हो गई है और ईरान और चीन 25 वर्षीय रणनीतिक साझेदारी का समझौता करने जा रहे हैं। यह बड़ी परियोजना 2022 तक पूरी हो जाएगी, जिसके लिए ईरान नेशनल डेवलपमेंट फ़ंड क़रीब 40 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा।
पिछले ही हफ़्ते ईरान के परिवहन और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने 628 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बिछाने की परियोजना का उद्घाटन किया, जिसे अफ़ग़ानिस्तन की सीमा पर ज़रंज तक बढ़ाया जाएगा।
गौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान तक पहुंच बनाने में सहूलत के लिए भारत ने ईरान की चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और चाबहार से अफ़ग़ानिस्तान सीमा के निकट ज़ाहोदान तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना में सहयोग का समझौता किया था। अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसा देश है, जिसकी सीमा समुद्री मार्ग से नहीं मिलती है, और वहां भारत ने भारी निवेश कर रखा है।
चाबहार बंदरगाह के ज़रिए भारत, पाकिस्तान को बाइपास करके समुद्री मार्ग से अपने उत्पाद अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंचा सकता है। चाबहार-ज़ाहोदान रेलवे परियोजना, ईरानी रेलवे और भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के बीच, भारत, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता था, जिसके लिए नई दिल्ली ने अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।