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राफेल लाने वाले पायलट्स की कहानी:कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत ने पहला विमान लैंड किया, 7 पायलट लेकर आए पांच विमान Featured

  29 July 2020

बुधवार दोपहर 3.15 पर अंबाला एयरफोर्स बेस पर 5 राफेल फाइटर जेट उतरे। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने विमान लेकर उड़ान भरी थी और 7000 किमी का सफर तय कर भारत पहुंचे।

इन पायलट्स में 17 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह, कमांडर एमके सिंह, ग्रुप कैप्टन आर कटारिया, विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी, विंग कमांडर मनीष सिंह, विंग कमांडर सिद्धू और विंग कमांडर अरुण कुमार शामिल हैं। ये पायलट्स जिन्हें राफेल घर लाने का खास मौका मिला और जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया, पढ़ें इनकी कहानी।

  • खराब इंजन के बावजूद शौर्य चक्र जीतने वाले हरकीरत ने सुरक्षित लैंडिंग कराई थी, विंग कमांडर मनीष सिंह के पापा-दादा-भाई सभी फौजी हैं
  • कश्मीर के रहने वाले एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर के पिता पुलिस में डीएसपी थे, वो फ्रांस में भारतीय वायुसेना के एयर अताशे हैं

बुधवार दोपहर 3.15 पर अंबाला एयरफोर्स बेस पर 5 राफेल फाइटर जेट उतरे। 27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने विमान लेकर उड़ान भरी थी और 7000 किमी का सफर तय कर भारत पहुंचे। इन पायलट्स में 17 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह, कमांडर एमके सिंह, ग्रुप कैप्टन आर कटारिया, विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी, विंग कमांडर मनीष सिंह, विंग कमांडर सिद्धू और विंग कमांडर अरुण कुमार शामिल हैं। ये पायलट्स जिन्हें राफेल घर लाने का खास मौका मिला और जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया, पढ़ें इनकी कहानी

खराब इंजन के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग के लिए शौर्य चक्र जीतने वाले हरकीरत

5 विमानों के बैच में सबसे पहले विमान काे वायुसेना की 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर और शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह ने लैंड करवाया। ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह किसी परिचय के माेहताज नहीं। खराब इंजन के बावजूद जान जोखिम में डालकर विमान को सुरक्षित लैंड कराने के लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था। घटना 23 सितंबर 2008 की है। तब वे स्क्वाड्रन लीडर थे।

राजस्थान के एक एयरबेस से मिग-21 बाइसन में नाइट मिशन पर उड़ान भरी थी। 4 किमी की ऊंचाई पर उन्हें इंजन से 3 धमाके सुनाई दिए। इंजन बंद होते ही कॉकपिट में अंधेरा छा गया। हरकीरत ने इमरजेंसी लाइट जलाई और किसी तरह आग पर काबू पाया। देर किए बिना इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश की। इंजन चालू कर उन्होंने ग्राउंड कंट्रोल की मदद से नेविगेशन सिस्टम के जरिए रात में लैंडिंग की। हरकीरत चाहते ताे कूद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने मिग को भी सुरक्षित लैंड करवाया। हरकीरत के पिता निर्मल सिंह ले. कर्नल रहे हैं। उनकी पत्नी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं।

2001 में एनडीए गए अभिषेक त्रिपाठी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं
विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी भी उन पायलट्स में शामिल हैं जो राफेल उड़ाकर भारत पहुंचे। अभिषेक राजस्थान के जालौर में पैदा हुए जबकि उनका परिवार हरदोई उप्र का रहने वाला है। उनके पिता अनिल त्रिपाठी बैंक में जॉब करते हैं जबकि मां सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में। उनके भाई अनुभव त्रिपाठी यूएस में इंजीनियर हैं। पत्नी प्रियंका लखनऊ की रहने वाली हैं। जालौर के ही स्कूल में पढ़ाई करने के बाद अभिषेक 11वीं-12वीं की पढ़ाई करने जयपुर आ गए थे। उसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली से एमएससी किया। 2001 में एनडीए में गए और फिर एयरफोर्स एकेडमी से फाइटर पायलट बतौर कमीशन हुए।

विंग कमांडर मनीष सिंह के पापा-दादा-भाई सभी फौज में

मनीष सिंह उप्र के बलिया के रहने वाले हैं। राफेल की ट्रेनिंग के लिए फ्रांस जाने से पहले वो गोरखपुर में पोस्टेड थे और उससे पहले अंबाला और जामनगर। उनके भाई अनीश नौसेना में हैं। जबकि पिता, दादा फौज से रिटायर्ड हैं। मनीष की पढ़ाई हरियाणा के कुंजपुरा सैनिक स्कूल से हुई है। इसके बाद वो एनडीए में सिलेक्ट हुए और 2003 में बतौर फाइटर पायलट वायुसेना में कमीशन हुए। मनीष की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल में हुई और फिर छठी क्लास के बाद वो सैनिक स्कूल चले गए।

विजयपुर मिलिट्री स्कूल में पढ़े हैं विंग कमांडर अरुण कुमार

अरुण कुमार उन पांच पायलट्स में शामिल हैं जो राफेल लेकर भारत आए। 15 साल से एयरफोर्स में सर्विस कर रहे अरुण कुमार 1994 में विजयपुर मिलिट्री स्कूल में पढ़ने चले गए। 2002 में वो वायुसेना में कमिशन हुए।

और एक कहानी उनकी जिनके बूते तैयार हुए भारत के राफेल
कश्मीर के रहने वाले एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर के पिता पुलिस में डीएसपी थे। हिलाल अहमद राथर राफेल को उड़ाने वाले पहले भारतीय हैं। एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त इलाके अनंतनाग से हैं। 52 वर्षीय हिलाल अहमद राथर फिलहाल फ्रांस में एयर अताशे हैं। कश्मीर में पैदा हुए हिलाल के पिता मोहम्मद अब्दुल्ला राथर जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी थे। उनकी तीन बहनें हैं जबकि वो मोहम्मद अब्दुल्ला राथर के इकलौते बेटे हैं।

उनकी पढ़ाई जम्मू के पास नगरोटा के सैनिक स्कूल में हुई और वो 1988 में वायुसेना में बतौर फाइटर पायलेट कमीशन हुए। डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एयर वॉर कॉलेज अमेरिका से भी पढ़ाई की। एनडीए से पास होते वक्त वो स्वार्ड ऑफ ऑनर हासिल कर चुके हैं। 3000 घंटे के बिना किसी एक्सीडेंट वाली फ्लाइंग रिकॉर्ड उनके पास हैं। वो मिराज-200, मिग-21 और किरन एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं। अब इस लिस्ट में राफेल भी जुड़ गया है। वो ग्वालियर में मिराज की स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर भी रह चुके हैं।

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