IndiaMirror Hindi https://hindimirror.net Thu, 21 Nov 2024 12:58:11 +0000 Joomla! - Open Source Content Management en-gb बंगाल चुनावः दूसरे चरण के बाद से बीजेपी परेशान, जमकर पैसा बहाकर भी प्रदर्शन खराब https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/157-2021-04-16-21-20-00.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/157-2021-04-16-21-20-00.html

बीजेपी की बंगाल में होने वाली रैलियों में कमल छाप साड़ी पहनी औरतें और ऐसी ही टीशर्ट पहने लोगों की भीड़ दिख जाएगी। कहीं-कहीं हजार के कूपन बांटने की भी बात सामने आ रही है। लेकिन पैसे के बूते चुनाव को अपने पक्ष में करने की बीजेपी की मुहिम की हवा निकल गई है।

पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी सांप्रदायिक आधार पर लोगों को गोलबंद करने की कोशिशों के अलावा भी कई तरह के ‘खेल’ कर रही है। इस खेल के दांव-पेंच साफ दिखते हैं। कई बार लोग इसका इजहार कर जाते हैं तो कई बार सबकुछ जानते-समझते हुए भी अनजान बन जाते हैं। इस बातचीत पर गौर करें-

आपने यह साड़ी कहां से खरीदी?

खरीदी नहीं, इसे मोदी जी ने दिया है।

लेकिन मोदी जी यहां कहां से आ गए? यहां तो बीजेपी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी हैं।

हां, मोदी जी ने भेजा है और शुभेंदु दादा ने हमको साड़ियां दी हैं और युवाओं को प्रधानमंत्री की फोटो वाली टी शर्ट।

यह बातचीत 30 मार्च को बंगाल की हाई प्रोफाइल सीट नंदीग्राम के हरिपुर गांव में बने हेलीपैड के पास हो रही थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का उसी दिन रेयापाड़ा इलाके में रोड शो था और वहां जाने के लिए वह इसी हेलीपैड पर उतरे थे। उनके हेलीकॉप्टर को देखने के लिए गांव की जो दर्जनों महिलाएं आईं, उनमें से ज्यादातर ने कमल के फूल छपी साड़ियां पहन रखी थीं। जिस महिला से यह बातचीत हुई, वह भी उनमें शामिल थी। उसने बताया कि इलाके के ज्यादातर गांवों में ऐसी साड़ियां और टी शर्ट बांटे गए हैं। हेलीपैड के पास जुटे कई लोगों ने ऑफ दि रिकार्ड पैसों से भरा लिफाफा बंटने की भी बात कही। लेकिन इन पंक्तियों का लेखक स्वतंत्र रूप से इस बात की पुष्टि नहीं कर सका। लोगों ने भी कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया।

नंदीग्राम का यह वाकया तो मिसाल भर है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैसे पानी की तरह पैसा बहा रही है। राज्य के अन्य इलाकों से भी साड़ियां-कपड़े बांटने की खबरें आई हैं। कुछ जगहों पर बीजेपी की ओर से एक-एक हजार के कूपन बांटने की बात भी आ चुकी है। तृणमूल कांग्रेस भी प्रचार सामग्री बांट रही है, लेकिन वह टोपियों और टेबल कैलेंडर तक ही सीमित है।

 

बीजेपी के एक नेता कमल छाप साड़ी बांटने के आरोप को निराधार बताते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर वह कहते हैं कि ऐसी तमाम चीजें दुकानों पर बिक रही हैं। लोगों ने वहां से खरीदा होगा। लेकिन यह दलील गले के नीचे नहीं उतरती। अव्वल तो ऐसी सामग्री सिर्फ कोलकाता समेत कुछ बड़े शहरों में ही मिल रही है। नंदीग्राम के गांवों में जहां लोगों को दो जून का भोजन ठीक से नहीं मिलता हो, वहां लोग ये कपड़े क्यों खरीदेंगे? बीजेपी के उस नेता के पास इसका कोई जवाब नहीं था।

दक्षिण 24-परगना जिले के रायदीघी इलाके के जयनगर में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली में शामिल होने और बीजेपी को वोट देने के लिए लोगों में एक-एक हजार के कूपन बांटने के आरोप लग चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मित्र ने कूपन की तस्वीरों के साथ एक ट्वीट में यह आरोप लगाया कि कूपन पर प्रधानमंत्री की तस्वीर के अलावा बीजेपी का लोगो बना था। गौरतलब है कि दक्षिण 24-परगना टीएमसी का गढ़ माना जाता है।

वहीं बीजेपी का दावा है कि रायदीघी के लोगों ने बीजेपी को चंदे के तौर पर एक-एक हजार रुपये दिए और वह कूपन उसी चंदे की रसीद है। अगर इस दावे में हकीकत है तो बेझिझक कहा जा सकता है कि या तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को वाकई सोनार बांग्ला बना दिया है या फिर प्रधानमंत्री ने जादू की छड़ी से कुछ हफ्तों के भीतर ही यह करिश्मा कर दिखाया है।

तृणमूल और सीपीएम नेताओं का कहना है कि चंदे की बात तो लीपापोती के लिए की जा रही है। ममता शुरू से ही अपनी रैलियों में बीजेपी पर वोट के लिए नोट बांटने के आरोप लगाती रही हैं। उनका कहना है, “यहां मंत्रियों और नेताओं की कारों में बक्से भर-भर कर नोट लाए जा रहे हैं। कुछ नेता यहां हजारों करोड़ रुपये लेकर आए हैं, ताकि वोट खरीदे सकें। इसके अलावा पार्टी तृणमूल के कई उम्मीदवारों पर भी डोरे डाल रही है।”

 

बीजेपी की मथुरापुर जिला समिति की ओर से छपवाए गए कूपन पर एक हजार रुपये की रकम तो लिखी है लेकिन उस पर कहीं दान या चंदे का जिक्र नहीं है। ऐसे में बीजेपी नेताओं की सफाई गले से नहीं उतरती। बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार में मंत्री रहे इलाके के सीपीएम नेता कांति गांगुली कहते हैं, “बीजेपी चुनाव जीतने के तमाम हथकंडे अपना रही है लेकिन लोगों ने उसके पैसे ठुकरा दिए हैं।”

सीपीएम समर्थक हजरत लस्कर बताते हैं, “बीजेपी के एक स्थानीय नेता ने मार्च के आखिर में ये कूपन बांटे थे। उसने गांव वालों से मोदी की रैली में हिस्सा लेने को कहा था। कुछ लोगों को यह रकम आकर्षक लगी और वे रैली में भी गए। लेकिन कई लोगों ने कूपन लेने के बावजूद उसमें हिस्सा नहीं लिया। मुझे भी कूपन मिला था, लेकिन मैं रैली में नहीं गया।” लस्कर के मुताबिक, बीजेपी ने कहा था कि मतदान के बाद कूपन के बदले नकदी मिल जाएगी।

अब तमाम आरोपों के बाद बीजेपी ने दो खर्च पर्यवेक्षकों को कोलकाता में तैनात किया है, जो चुनाव अभियान के दौरान होने वाले खर्चे पर निगाह रखेंगे। हालांकि बीजेपी के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि पहले दो दौर के बाद मतदान में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा और उसके बाद ही खर्च पर निगाह रखने का फैसला किया गया। हालांकि, प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य इस आरोप को निराधार बताते हैं।

प्रदेश बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “केंद्रीय नेतृत्व ने हमें भरोसा दिया था कि तृणमूल कांग्रेस से बंगाल की सत्ता छीनने की राह में पैसों की कोई दिक्कत नहीं होगी। शर्त यह थी कि हमें नतीजे दिखाने होंगे। लेकिन पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं होने की वजह से खर्च पर निगाह रखने का प्रयास किया जा रहा है।” दरअसल, कुछ बीजेपी नेताओं के मुताबिक, ये शिकायतें भी मिली हैं कि कुछ उम्मीदवार चुनाव अभियान के लिए मिली रकम को ठीक से खर्च नहीं कर रहे हैं। कुछ नेता बिना वजह कुछ किलोमीटर के दौरे के लिए भी हेलीकॉप्टर किराये पर ले रहे हैं।

 

इसी तरह हुगली जिले के एक बीजेपी नेता जो टिकट पाने की दौड़ में शामिल थे, कहते हैं, “उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद राज्य के कई इलाकों में जो विरोध प्रदर्शन हुए, उनकी वजह यह नहीं थी कि टिकट मिलना जीत की गारंटी थी और पार्टी के पक्ष में जबरदस्त लहर चल रही थी। दरअसल, चुनाव खर्च के मद में मिलने वाली भारी-भरकम रकम में उनको अपना भविष्य नजर आ रहा था”।

वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षक समीरन पाल कहते हैं, “बीजेपी पानी की तरह पैसे बहा रही है। उसका लक्ष्य किसी तरह बंगाल की गद्दी पर काबिज होना है। लेकिन क्या यह धन-बल उसे सत्ता दिला पाएगा, इसका जवाब तो 2 मई को ही मिलेगा।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Fri, 16 Apr 2021 21:16:26 +0000
कोविड-19: बंगाल में चुनाव आयोग ने शाम सात से सुबह 10 बजे के बीच रैलियों-सभाओं पर प्रतिबंध लगाया https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/145-19-10.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/145-19-10.html

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: कोविड-19 की ख़तरनाक स्थिति को देखते हुए तृणमूल ने बंगाल के तीन चरणों के मतदान एकसाथ कराने की मांग फ़िर दोहराई. बंगाल में पांच उम्मीदवार कोरोना वायरस से संक्रमित. 

अमित शाह ने ममता पर मतुआ लोगों को नागरिकता न देने का आरोप लगाया. सीआईडी ने कूच बिहार गोलीकांड में जांच का ज़िम्मा संभाला. तमिलनाडु में द्रमुक का आरोप, ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में लोगों और का ‘अनधिकृत’ प्रवेश हो रहा है.

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के संबंध में कुछ प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिनमें प्रचार के समय में कमी करना भी शामिल है.

आयोन ने शुक्रवार से शाम सात बजे तक ही रैलियां और जनसभाओं के आयोजन की समयसीमा तय कर दी है. इससे पहले रात 10 बजे तक रैलियां और जनसभाएं की जा सकती थीं.

चुनाव आयोग की ओर जारी आदेश में कहा गया है कि शाम सात बजे से लेकर सुबह दस बजे तक रैलियों और जनसभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

इसके अलावा आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के शेष तीन चरणों के लिए मतदान से पूर्व चुनाव प्रचार समाप्त होने की अवधि 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दी है.

राज्य में विधानसभा चुनाव आठ चरणों में होने थे, इनमें से चार चरणों के लिए मतदान संपन्न हो गया है और पांचवें चरण के लिए मतदान 17 अप्रैल को है. आयोग द्वारा लगाई गईं नई बंदिशें अंतिम तीन चरणों (22, 26 और 29 अप्रैल) के लिए हैं. अंतिम तीन चरणों में कुल 114 सीटों के लिए चुनाव होने हैं.

इससे पहले कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच पश्चिम बंगाल में एक साथ चुनाव कराने के आग्रह को भारतीय निर्वाचन आयोग ने ठुकरा दिया है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग से आग्रह किया था कि विधानसभा चुनाव के बाकी चरणों को एक बार में कराने पर विचार किया जाए.

आयोग के एक अधिकारी ने बताया था कि 17 अप्रैल को होने जा रहे पांचवें चरण के चुनाव के लिए बंदोबस्त पहले ही किए जा चुके हैं. सोशल मीडिया पर कई लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या चुनाव के अगले तीन चरण एक ही बार में करवा लेने चाहिए.

बंगाल में चार चरणों में 135 सीटों पर चुनाव हो चुकी है. पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को चुनाव होने है. पांचवें चरण में 319 प्रत्याशी मैदान में हैं, इनमें 39 महिलाएं हैं. ये 45 सीटें जलपाईगुड़ी, कलिम्पोंग, दार्जिलिंग, नादिया, नॉर्थ 24 परगना और पूर्वा बर्धमान जिले में पड़ती हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने तीन चरणों के मतदान एकसाथ कराने की मांग फ़िर दोहराई

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में कोविड-19 की खतरनाक स्थिति को देखते हुए शनिवार को पांचवें दौर के मतदान के बाद विधानसभा चुनाव के अंतिम तीन चरणों को एकसाथ जोड़ने की शुक्रवार को मांग की.

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पिछले दिनों शेष चरणों के लिए मतदान एक ही बार में कराने का सुझाव दिए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब के साथ एक बैठक में अंतिम तीन चरणों के मतदान एकसाथ कराने की मांग की.

सीईओ द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से बाहर निकलते हुए चटर्जी ने कहा कि लोगों का जीवन बचाने और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय देते हुए कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के वास्ते चुनाव आयोग द्वारा एक संतुलन बनाया जाना चाहिए.

चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने आयोग को बताया है कि कोविड-19 स्थिति के बीच लोगों को उचित स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए, अंतिम तीन चरणों को यह सुनिश्चित करते हुए एकसाथ जोड़ देना चाहिए कि लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बरकरार रखा जाए.’

उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और आम जनता सहित सभी हितधारकों की कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में भूमिका है.

पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ रहे पांच उम्मीदवार कोरोना वायरस से संक्रमित

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ रहे अलग-अलग दलों के कम से कम पांच उम्मीदवार कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को इस बारे में बताया.

उन्होंने बताया कि संक्रमित पाए गए पांच उम्मीदवारों में से तीन तृणमूल कांग्रेस के और एक-एक उम्मीदवार रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं.

अधिकारी ने बताया कि जंगीपुर से आरएसपी के उम्मीदवार प्रदीप कुमार नंदी (73) बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए और अभी वह घर पर पृथकवास में हैं.

अधिकारी ने बताया कि माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार आनंदमय बर्मन (38), तृणमूल कांग्रेस के गोलपोखर से उम्मीदवार मोहम्मद गुलाम रब्बानी, तापन से उम्मीदवार कल्पना किसकू और जलपाईगुड़ी से उम्मीदवार डॉ. प्रदीप कुमार बर्मा कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.

निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘संक्रमित पाए गए उम्मीदवारों को तुरंत प्रचार रोक देना चाहिए. या तो उन्हें अपने घर पर पृथकवास में रहना चाहिए या संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में भर्ती होना चाहिए.’

मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज विधानसभा सीट  में कांग्रेस के प्रत्याशी रेजाउल हक कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. बृहस्पतिवार तड़के उनका निधन हो गया. इसके बाद निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है.

बंगाल में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी के लिए भाजपा ज़िम्मेदार: ममता बनर्जी

नवद्वीप: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए सीधे भगवा दल को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि वह निर्वाचन आयोग से कहेंगी कि वह भाजपा को प्रचार के दौरान बाहरी लोगों को लाने से रोके.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

नादिया जिले के नवदीप में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों के लिउ शामियाने लगवाने के लिए भाजपा सबसे बुरी तरह प्रभावित गुजरात जैसे राज्यों से लोगों को लेकर आई.

उन्होंने कहा, ‘मैं निर्वाचन आयोग से अनुरोध करूंगी कि वह गुजरात जैसे राज्यों से आने वाले बाहरी लोगों को रोके जो बंगाल में कोविड-19 के प्रसार के लिये जिम्मेदार हैं.’

बनर्जी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री या अन्य नेता प्रचार के लिए आते हैं तो हमें कुछ नहीं कहना. रैलियों के लिये मंच और पंडाल लगाने के लिए भाजपा को सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों से लोगों को क्यों लाना चाहिए?’

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि स्थानीय श्रमिक और सज्जाकारों की आवश्यक कोविड-19 जांच के बाद इस उद्देश्य के लिए सेवा ली जा सकती है.

अपनी चोट का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा उनके पैर को निशाना बनाकर उन्हें प्रचार करने से रोकना चाहती थी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को गलत साबित कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मेरे पैर को निशाना बनाया था, लेकिन लोगों के आशीर्वाद से मैंने उन्हें गलत साबित कर दिया. चोट 75 प्रतिशत तक ठीक हो चुकी है.’

शाह ने ममता पर मतुआ लोगों को नागरिकता न देने का आरोप लगाया

अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

तेहट्टा: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दलित मतुआ व नामशूद्र समुदाय के लोगों को नागरिकता देने से इनकार करने का आरोप लगाया क्योंकि उनके वोटबैंक को यह पसंद नहीं आता.

कई सीटों पर विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले इन दोनों समुदायों को साधने के प्रयास के तहत शाह ने कहा कि राज्य में अगर भाजपा सत्ता में आई तो इन दोनों समुदायों के कल्याण के लिये 100 करोड़ रुपये का एक कोष बनाया जाएगा.

उन्होंने नादिया जिले के तेहट्टा में एक चुनावी रैली के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह मतुआ और नामशूद्र परिवार यहां 50-70 सालों से रह रहे हैं, तीन पीढ़ियों से. लेकिन दीदी कहती हैं कि उन्हें नागरिकता नहीं मिलेगी, क्यों? क्योंकि उनके वोट बैंक को यह पसंद नहीं आएगा.’

राज्य में बुधवार को पहली दो चुनावी रैलियों को संबोधित करने वाले राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए शाह ने उन्हें ‘पर्यटक नेता’ बताया.

कांग्रेस यहां वाम दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, जबकि केरल में उनकी पार्टी वाम दलों के खिलाफ चुनाव लड़ रही है.

शाह ने कहा, ‘लगभग पूरा चुनाव खत्म होने के बाद बंगाल में एक पर्यटक नेता आए हैं और हमारे डीएनए पर सवाल उठा रहे हैं. भाजपा का डीएनए विकास, राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भर भारत है.’

तृणमूल कांग्रेस में ‘वंशवाद की राजनीति’ पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि भाजपा बंगाल में किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना लागू करना चाहती है, ‘दीदी सिर्फ भाइपो (भतीजा) सम्मान निधि चाहती हैं.’

भाजपा नेता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से सांसद अभिषेक बनर्जी पर सरकारी तंत्र पर ‘अनावश्यक प्रभाव’ डालने और ‘वसूली सिंडिकेट’ चलाने को लेकर आरोप लगाते रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘दो मई (मतगणना का दिन) को जनादेश आने के बाद कट मनी लेने के लिए कोई नहीं बचेगा और सिंडिकेट की सरकार यहां नहीं रहेगी, भाइपो के लिए काम करने वाली सरकार चली जाएगी.’

शाह ने टीएमसी सरकार पर घुसपैठियों को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया, जिन्होंने युवाओं की नौकरी और गरीबों के खाने पर कब्जा कर लिया.

उन्होंने कहा, ‘अवैध आव्रजकों को छोड़िए, सीमा पार से एक परिंदे को भी बंगाल की सीमा में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी. न तो टीएमसी न वामदल और न ही कांग्रेस. सिर्फ भाजपा घुसपैठ रोक सकती है.’

उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले नादिया जिले की जनसांख्यिकी घुसपैठ के कारण बदल गयी है.

सीआईडी ने कूच बिहार गोलीकांड में जांच का जिम्मा संभाला

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सीआईडी ने 10 अप्रैल को कूच बिहार जिले में मतदान के दौरान सीआईएसएफ की गोलीबारी में चार लोगों की मौत के मामले में जांच की जिम्मेदारी शुक्रवार को ली. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

जिले के सीतलकूची में चौथे चरण के मतदान के दौरान हुई घटना की जांच के लिए अपराध जांच विभाग (सीआईडी) की विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है.

इस घटना के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसको चुनौती दे रही भाजपा के बीच उग्र जुबानी जंग शुरू हो गई है और लोगों में इस घटना को लेकर आक्रोश है.

अधिकारी ने बताया कि जांचकर्ता सीतलकूची निर्वाचन क्षेत्र के जोरपाटकी में मतदान केंद्र 126/5 का दौरा करेंगे, जहां सीआईएसएफ जवानों ने ग्रामीणों द्वारा कथित तौर पर हमला करने के बाद गोलियां चला दी थीं.

टीएमसी ने दावा किया है कि जिनकी मौत हुई, वे पार्टी के समर्थक थे और उन्हें उस वक्त गोली मारी गई जब वे वोट डालने के लिए कतार में खड़े थे. टीएमसी प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को ‘नरसंहार’ बताया है.

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों से बात करने और उनके बयान दर्ज करने के अलावा एसआईटी घटना का वीडियो फुटेज भी देखेगी. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो प्रसारित हुआ है, जिसकी प्रामाणिकता को जांचने के लिए फॉरेंसिक जांच करवाई जा सकती है.

एसआईटी घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे स्थानीय पुलिस थाने के अधिकारियों और कर्मचारियों से भी बात करेगी.

चुनाव आयोग ने घटना के बाद मतदान केंद्र पर वोटिंग रद्द कर दी थी और स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए कूच बिहार में नेताओं के प्रवेश पर 72 घंटे की रोक लगा दी थी.

बनर्जी बुधवार को सीतलकूची पहुंची थीं और मृतकों के परिवार से मुलाकात की थी.

चौथे चरण के मतदान के दौरान कूच बिहार जिले के सीतलकूची क्षेत्र के जोरपाटकी गांव में कथित तौर पर स्थानीय लोगों की तरफ से केंद्रीय बलों पर कथित हमले और उसके बाद जवानों द्वारा की गई फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने तब फायरिंग की जब गांववालों ने एक 12 साल के बच्चे पर सीआईएसएफ जवानों द्वारा हमले की अफवाह के बाद उन्हें घेर लिया था.

इस घटना से राजनीतिक तूफान आ गया है. केंद्रीय बल का दावा है कि गोली ‘आत्मरक्षा’ में चलाई गई है. वहीं टीएमसी ने इसे मतदाताओं को डराने के लिए सोच-समझकर की गई हत्या बताया है.

केंद्रीय बलों का घेराव करने के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में ममता के खिलाफ केस दर्ज

कूच बिहार: केंद्रीय बलों का घेराव करने के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में कूच बिहार के एक पुलिस थाने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. इसमें आरोप लगाया गया है कि उनके उकसाने की वजह से सीतलकूची गोलीबारी की घटना हुई और उसमें चार लोगों की जान गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

कूच बिहार में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के जिलाध्यक्ष सिद्दिकी अली मिया ने बुधवार को अपनी शिकायत में दावा किया कि ममता बनर्जी द्वारा बनरेश्वर में एक रैली में दिए गए भाषण ने लोगों को चुनावों के चौथे चरण के दौरान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के कर्मचारियों के खिलाफ हमले के लिए उकसाया था.

माथाभांगा पुलिस थाने में दर्ज अपनी शिकायत के साथ ही उन्होंने ममता बनर्जी के भाषण की एक वीडियो क्लिप भी संलग्न की है.

मिया ने कहा कि ममता बनर्जी के भड़काऊ बयान से भड़के गांव वालों ने तैनात सुरक्षाकर्मियों के हथियार छीनने की कोशिश की.

प्राथमिकी में मिया ने कहा, ‘महिलाओं सहित गांववालों ने केंद्रीय बलों पर शरीरिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से हमला किया, यह जानते हुए भी कि यह तैनात सुरक्षाकर्मियों की मौत का कारण भी बन सकता है.’

प्राथमिकी की एक प्रति समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के पास मौजूद है.

भाजपा नेता मिया से जब संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों के भीतर पुलिस यदि कुछ कार्रवाई नहीं करती है तो वह ममता बनर्जी को गिरफ्तार करने की मांग के साथ व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘चार लोगों की मौत के लिए सिर्फ ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं. वह हमारे जिले के मतदाताओं के प्रति जवाबदेह हैं.’

सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई गोलीबारी से चार लोगों की मौत के बाद उस मतदान केंद्र पर मतदान टाल दिया था.

प्रचार पर 24 घंटे की रोक संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर मैं धरना नहीं दूंगा: घोष

कोलकाता: भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बृहस्पतिवार को कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा उन पर 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने पर लगाई गई रोक संबंधी निर्णय का वह पूरी सख्ती के साथ पालन करेंगे. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की तरह वह निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर धरना नहीं देंगे.

निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय बलों के खिलाफ उनके बयानों को लेकर बनर्जी पर चुनाव प्रचार करने से 24 घंटे का प्रतिबंध लगाया था जिसके खिलाफ उन्होंने मंगलवार को शहर में धरना दिया था.

घोष ने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मैं चुनाव आयोग के आदेश का पालन करूंगा और सड़कों पर कोई धरना नहीं दूंगा.’

निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार शाम घोष के विवादास्पद बयान के लिए उनके प्रचार करने पर 24 घंटे की पाबंदी लगा दी. घोष ने कहा था कि कई जगहों पर सीतलकूची जैसी घटनाएं होंगी.

घोष ने कहा कि वह इस मौके का इस्तेमाल करते हुए आराम करेंगे क्योंकि वह पिछले कुछ सप्ताह से चुनाव प्रचार अभियान में व्यस्त हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं घर पर रहूंगा, खाऊंगा और एक दिन आराम करूंगा.’

तमिलनाडु: द्रमुक का आरोप, ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में लोगों का ‘अनधिकृत’ प्रवेश हो रहा

द्रमुक नेता एमके स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

द्रमुक नेता एमके स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: द्रमुक ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि तमिलनाडु में ईवीएम को रखने के लिये बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम परिसर में लोगों एवं वाहनों का ‘अनधिकृत’ प्रवेश हो रहा है और उसने निर्वाचन आयोग से मामले में कार्रवाई करने की अपील की.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सत्यब्रत साहू को दिए ज्ञापन में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने ऐसे कई उदाहरण गिनाए और निर्वाचन आयोग से अपील की कि सुनिश्चित करें कि कोई वाहन या व्यक्ति परिसर में प्रवेश नहीं कर पाए.

स्टालिन ने आरोप लगाए कि ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें कोयंबटूर, तिरूवल्लूर और चेन्नई में इस तरह के परिसरों में ‘ढंके हुए वाहन’ लाए गए और पूछने पर उन्हें महिला पुलिसकर्मियों के लिए चलंत शौचालय बताया गया.

स्टालिन ने बताया कि चेन्नई में वाहन के पास काफी संख्या में वाई-फाई कनेक्शन सक्रिय स्थिति में पाए गए.

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के निर्देश के बावजूद कई स्ट्रॉन्ग रूम परिसरों में प्रोटोकॉल का घोर अभाव है, जहां ईवीएम रखे हुए हैं.’

स्टालिन ने बताया कि हर स्ट्रॉन्ग रूम प्रतिष्ठित कॉलेजों में हैं, जहां पर्याप्त प्रसाधन कक्ष उपलब्ध हैं.

राज्य में 234 विधानसभा सीटों पर छह अप्रैल को चुनाव हुए थे और मतगणना दो मई को होगी.

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info@indiamirror.net (Super User) Election Fri, 16 Apr 2021 20:37:45 +0000
बंगाल: भाजपा नेता राहुल सिन्हा के चुनाव प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक, दिलीप घोष को नोटिस https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/141-48.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/141-48.html

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के विरोध में कोलकाता में धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी.

कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि बंगाल में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, माहौल भाजपा और तृणमूल के ख़िलाफ़. टीएमसी नेता फ़िरहाद हाकिम ने कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ाने के लिए उन्हें निशाना बना रही है भाजपा. असम में एआईयूडीएफ ने दावा किया कि भाजपा के पांच-छह उम्मीदवार उनके संपर्क में हैं.

निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा की कथित टिप्पणी के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर मंगलवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी मानव जीवन का उपहास उड़ाने वाली और बेहद भड़काऊ थी.

वहीं आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है, जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था, ‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी.’

आयोग ने कहा है कि इस तरह के बयानों का कानून-व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा.

आयोग ने सिन्हा के बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के सीतलकूची में केंद्रीय सुरक्षा बलों को चार लोगों के बजाय आठ लोगों की हत्या कर देनी चाहिए थी.

निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘मानव जीवन का उपहास उड़ाते हुए उन्होंने बेहद भड़काऊ टिप्पणी की और बलों को भड़काने का काम किया जिससे कानून-व्यवस्था के गंभीर नतीजे हो सकते हैं.’

निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेताओं की टिप्पणी को आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व कानून के विभिन्न प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धाराओं का उल्लंघन बताया है.

निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार सिन्हा पर यह पाबंदी मंगलवार दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजे तक बनी रहेगी.

आयोग ने कहा कि उसने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिन्हा को बिना कोई नोटिस जारी किए आदेश जारी किया है.

आयोग ने सिन्हा के बयान का स्वत: संज्ञान लिया.

आदेश में घटना के बाद सिन्हा के बयान का जिक्र किया गया है, ‘केंद्रीय बलों को उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. अगर वे फिर से ऐसा करते हैं तो फिर उसी तरह कड़ाई से निपटना चाहिए. केंद्रीय बलों को सीतलकूची में चार के बजाय आठ लोगों को मारना चाहिए था. केंद्रीय बलों को एक कारण बताओ नोटिस जारी होना चाहिए कि उन्होंने केवल चार लोगों को क्यों मारा.’

आदेश के अनुसार, ‘निर्वाचन आयोग भाजपा नेता राहुल सिन्हा के उपरोक्त बयानों की निंदा करता है और उन्हें आगे चुनाव आचार संहिता लागू रहने के दौरान सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान नहीं देने की चेतावनी देता है.’

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को सोमवार को 24 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था. केंद्रीय बलों के खिलाफ बयान देने के लिए आयोग ने यह कदम उठाया.

आयोग ने एक अन्य आदेश में भाजपा के नंदीग्राम से उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी को इस बयान के लिए डांट लगाई कि ‘लोगों ने अगर बेगम को वोट दिया तो यहां मिनी पाकिस्तान बन जाएगा.’ लेकिन निर्वाचन आयोग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की.

आयोग ने सोमवार रात जारी आदेश में कहा, ‘आयोग शुभेंदु अधिकारी को चेतावनी और सलाह देता है कि जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है तब तक इस तरह की टिप्पणी से बचें.’

आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है, जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था कि ‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी.’

आयोग ने कहा कि घोष के बयान उकसावे वाले हैं और इनके कारण कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ सकते हैं.

आयोग ने घोष को नोटिस का जवाब देने और इन टिप्पणियों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बुधवार सुबह दस बजे तक का समय दिया है.

नोटिस में कहा गया है कि आयोग का ऐसा मानना है कि दिलीप घोष ने आचार संहिता के विभिन्न उपबंधों, जन प्रतिनिधि कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ऐसे बयान दिए जो उकसावे वाले हैं और भावनाओं को भड़का सकते हैं.

नोटिस के मुताबिक, ‘इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है और चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.’

निर्वाचन आयोग से घोष की शिकायत तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई थी.

नोटिस में घोष की उस कथित टिप्पणी का जिक्र है, जिसमें कहा गया था, ‘यदि कोई अपनी सीमाओं को पार करेगा तो आपने देखा ही है कि सीतलकूची में क्या हुआ. सीतलकूची जैसी घटना कई स्थानों पर होगी.’

उल्लेखनीय है कि घोष ने रविवार को कहा था कि यदि ‘सीतलकूची में मारे गए दुष्ट लड़कों की तरह’ किसी ने कानून हाथ में लेने का प्रयास किया तो विधानसभा चुनावों के अगले चरण में भी कूचबिहार की तरह हत्याएं हो सकती हैं.

उत्तर 24 परगना जिले के बारानगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जिन दुष्ट लड़कों ने समझ रखा था कि केंद्रीय बलों की राइफलें चुनावी ड्यूटी के दौरान केवल दिखावे के लिए हैं, ऐसे लोग सीतलकूची की घटना देखने के बाद यह गलती दुहराने का साहस नहीं करेंगे.

चौथे चरण के मतदान के दौरान कूच बिहार जिले के सीतलकूची क्षेत्र के जोरपाटकी गांव में कथित तौर पर स्थानीय लोगों की तरफ से केंद्रीय बलों पर कथित हमले और उसके बाद जवानों द्वारा की गई फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने तब फायरिंग की जब गांववालों ने एक 12 साल के बच्चे पर सीआईएसएफ जवानों द्वारा हमले की अफवाह के बाद उन्हें घेर लिया था.

इस घटना से राजनीतिक तूफान आ गया है. केंद्रीय बल का दावा है कि गोली ‘आत्मरक्षा’ में चलाई गई है. वहीं टीएमसी ने इसे मतदाताओं को डराने के लिए सोच-समझकर की गई हत्या बताया है.

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहा है. बीते 10 अप्रैल को चौथे चरण का मतदान हुआ था.

अपने चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के विरोध में कोलकाता में धरने पर बैठीं ममता

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने उनके चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे की पाबंदी के निर्वाचन आयोग के ‘अंसवैधानिक’ फैसले के विरोध में मंगलवार को शहर के मध्य में करीब साढ़े तीन घंटे तक धरना दिया.

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

ममता पिछले महीने चोटिल होने के कारण मंगलवार को ह्वीलचेयर पर बैठकर दिन में करीब 11 बजकर 40 मिनट पर कोलकाता के मायो सड़क पहुंचीं और उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट बैठकर धरना शुरू किया. इस दौरान सुरक्षा बलों ने उस क्षेत्र को घेर रखा था.

धरने के समय तृणमूल के किसी नेता या समर्थक को उनके पास नहीं देखा गया.

इस संबंध में सवाल किए जाने पर तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘प्रदर्शन स्थल के निकट किसी पार्टी नेता को जाने की अनुमति नहीं थी. वह वहां अकेली धरने पर बैठीं.’

ममता ने विरोधस्वरूप अपने गले में एक काला स्कार्फ लपेट रखा था. धरना के दौरान उन्होंने पेंटिंग की. पेंटिंग करना उनके पसंदीदा शौक में से एक है.

निर्चाचन आयोग ने ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के खिलाफ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के कारण 24 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है.

इस फैसले की निंदा करते हुए ममता ने ट्वीट किया था, ‘निर्वाचन आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में मैं कल (मंगलवार) दिन में 12 बजे से कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास धरने पर बैठूंगी.’

तृणमूल प्रमुख मंगलवार को रात आठ बजे के बाद बारासात और बिधाननगर में दो रैलियों को संबोधित करेंगी.

शहर में धरना देने को लेकर ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल नेता के मन में चुनाव निकाय के लिए कोई सम्मान नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे उदाहरण हैं जब निर्वाचन आयोग ने हमारे नेताओं के चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया. हमने हमेशा निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्मान किया है. उन्होंने (ममता बनर्जी ने) जो किया, वह अस्वीकार्य है.’

स्टालिन ने ममता का समर्थन किया, निर्वाचन आयोग से ‘निष्पक्ष’ रहने को कहा

चेन्नई: चुनाव प्रचार पर निर्वाचन आयोग के रोक लगाने पर धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों के लिए समान मौके सुनिश्चित करने चाहिए और निष्पक्षता बनाई रखनी चाहिए.

स्टालिन ने कहा कि लोकतंत्र में सबका विश्वास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के कारण है.

ट्विटर पर द्रमुक प्रमुख ने कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए समान मौके सुनिश्चित करने चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि निष्पक्षता बनाई रखी जाए.

बंगाल में नतीजे चौंकाने वाले होंगे, माहौल भाजपा और तृणमूल के खिलाफ: हरि प्रसाद

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरि प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला है और इसके नतीजे चौंकाने वाले होंगे, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा के खिलाफ तथा कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में जबरदस्त माहौल है.

बीके हरिप्रसाद. (फोटो साभार: फेसबुक)

बीके हरिप्रसाद. (फोटो साभार: फेसबुक)

पश्चिम बंगाल प्रदेश में बतौर पर्यवेक्षक कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन और समन्वय की जिम्मेदारी देख रहे हरि प्रसाद ने इन दावों को भी खारिज कर दिया कि पार्टी पूरी ताकत से चुनाव नहीं लड़ रही है.

उन्होंने आरएसएस का संदर्भ देते हुए दावा किया कि यह सब ‘नागपुर विश्वविद्यालय’ की ओर से फैलाया गया दुष्प्रचार है.

हरि प्रसाद ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस के सभी नेता एवं कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं तथा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार करेंगे.

उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब ऐसी खबरें हैं कि राहुल गांधी बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में पहली बार प्रचार कर सकते हैं. हरि प्रसाद इस चुनाव के लिए कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रभारी की भूमिका भी निभा रहे हैं क्योंकि स्थायी रूप से यह जिम्मेदारी निभा रहे जितिन प्रसाद इन दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.

यह पूछे जाने पर कि अगर जरूरत पड़ी तो क्या कांग्रेस सरकार गठन के लिए तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देगी, हरि प्रसाद ने इसे ‘काल्पनिक प्रश्न’ करार दिया. उन्होंने हालांकि यह जरूर कहा कि विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुशंसा करेंगे तथा पार्टी अध्यक्ष की तरफ से कोई फैसला होगा.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस वाम दलों और नयी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ गठबंधन कर पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ रही है.

हरि प्रसाद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में अब तक सीएए, एनआरसी और किसानों के मुद्दों पर बात नहीं की है. अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें इनके बारे में बात करनी चाहिए.’

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा के खिलाफ तथा कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में जबरदस्त माहौल है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे.

बंगाल में भाजपा के सत्ता में आने के बाद गोरखा समस्या का समाधान हो जाएगा: अमित शाह

दार्जिलिंग/नगराकटा: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के सत्ता में आने पर लंबे समय से चली आ रही ‘गोरखा समस्या’ का राजनीतिक समाधान ढूंढने का मंगलवार को आश्वासन दिया.

अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

शाह ने दार्जिलिंग में एक जनसभा के दौरान कहा कि देश का संविधान ‘विस्तृत’ है और इसमें सभी समस्याओं के हल का प्रावधान है.

शाह ने कहा, ‘मैं वादा करता हूं कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार- एक केंद्र में और दूसरी बंगाल में- गोरखा समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान निकाल लेगी. आपको अब प्रदर्शनों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा.’

हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस समस्या की बात कर रहे हैं.

गोरखा समुदाय बहुत समय से एक अलग राज्य की मांग कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसे लेकर कई आंदोलन भी किए गए हैं.

गोरखा समुदाय को भारत का गौरव बताते हुए शाह ने कहा कि कोई उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता.

उन्होंने कहा, ‘अभी के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोई योजना नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता भी है तो गोरखा समुदाय को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है.’

शाह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में विकास कार्य पर ‘पूर्ण विराम’ लगा दिया है और कहा कि यह वह स्थान है, जहां सत्तारूढ़ टीएमसी के नेता फुर्सत में आते हैं.

बनर्जी हाल के दिनों में कई बार दार्जिलिंग आई थीं लेकिन उन्होंने क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटों के लिए कोई प्रचार नहीं किया. क्षेत्र में 17 अप्रैल को मतदान होगा.

शीर्ष भाजपा नेता ने दावा किया कि टीएमसी सु्प्रीमो ने ‘कुछ’ गोरखाओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलवाकर भाजपा और गोरखा समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को खराब करने की कोशिश की.

शाह ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘दीदी ने कई की हत्या करवाई और कई के खिलाफ मामले चलवाए. भाजपा सत्ता में आने के बाद ऐसे लोगों के अपराध क्षमा करेगी.’

भाजपा के पूर्व सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग 2017 में हिंसक आंदोलन का कथित तौर पर नेतृत्व करने के बाद उनके खिलाफ लगाए गए कई आपराधिक आरोपों के बाद बहुत दिन तक भूमिगत रहे थे. पिछले साल अक्टूबर में सामने आने के बाद उन्होंने टीएमसी से हाथ मिला लिया था.

राज्य प्रशासन ने इनमें से कुछ मामलों को वापस लेने के लिए अब अदालत का रुख किया है.

शाह ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों और कांग्रेस को बाहरी लोगों पर निर्भर होना पड़ा है.

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाह को अकसर ‘बाहरी’ बताकर उनपर हमला करती हैं.

शाह ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो बनर्जी उन्हें और मोदी को बाहरी बताती हैं लेकिन उनकी पार्टी अवैध प्रवासियों के वोट पर निर्भर है.

जलपाईगुड़ी जिले में आयोजित एक रैली में शाह ने कहा, ‘क्या मैं बाहरी हूं? क्या मैं इस देश का नागरिक नहीं हूं? दीदी देश के प्रधानमंत्री को बाहरी बताती हैं.’

भाजपा के शीर्ष नेता ने कहा, ‘दीदी मैं आपको बताता हूं कि बाहरी कौन है. कम्युनिस्टों ने अपनी विचारधारा चीन और रूस से आयात की है. कांग्रेस नेतृत्व भी बाहरी है- यह इटली से आया है.’

उन्होंने कहा, ‘और तृणमूल कांग्रेस का वोट बैंक बाहरी है- अवैध प्रवासी.’

शाह ने कहा कि उनका जन्म इस देश में हुआ है और वह यहीं की मिट्टी में मिल जाएंगे. उन्होंने पूछा, ‘तो फिर मैं कैसे बाहरी हुआ?’

ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ाने के लिए मुझे निशाना बना रही है भाजपा: फिरहाद हाकिम

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के विश्वनीय समझे जाने वाले नेता फिरहाद हाकिम ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति को और आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत उनकी धार्मिक पहचान को निशाना बना रही है.

फिरहाद हाकिम. (फोटो साभार: फेसबुक)

फिरहाद हाकिम. (फोटो साभार: फेसबुक)

हाकिम ने भाजपा के इस दावे की आलोचना की कि वह राज्य को ‘मिनी पाकिस्तान’ बना देंगे.

उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रवादी हैं और राजनीति के धुव्रीकरण की कोशिश भारतीय संविधान की भावना के विपरीत है.

हाकिम ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘मैं एक राष्ट्रवादी हूं और मैं शत-प्रतिशत भारतीय हूं.’

हाकिम ने कहा कि उनके पिता उन्हें ‘बॉबी’ कहते थे. उनका यह नाम ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बॉबी सिम्पसन के नाम पर रखा गया है.

उन्होंने कहा, ‘मैं एक भारतीय के रूप में अंतिम सांस लूंगा और मेरी कब्र इसी जमीन पर होगी. वे (भाजपा) ध्रुवीकरण के लिये एक व्यक्ति को मुसलमान या पाकिस्तानी करार देते हैं. यह संविधान (की भावना), भारत के गौरव और मूल्यों के खिलाफ है.’

हाकिम ने कहा, ‘भाजपा को (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और (केंद्रीय गृह मंत्री अमित) शाह की संयुक्त साझेदारी चला रही है. उन्होंने ममता दीदी और हमारी पार्टी के अन्य नेताओं पर व्यक्तिगत हमले करके चुनाव का स्तर बहुत गिरा दिया है. केवल व्यक्तिगत हमले करना राजनीति नहीं हो सकती. पश्चिम बंगाल के लिए उनके पास क्या एजेंडा है?’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा के इशारे पर केंद्रीय एजेंसियां चुनाव में सक्रिय हैं.’

हाकिम ने दावा कि उनके कई पार्टी सहयोगी भाजपा में इसलिए शामिल हो गए क्योंकि भगवा दल ने ‘केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके फंसाने’ की धमकी देकर उन्हें ‘डराया और ब्लैकमेल’ किया.

हाकिम ने कहा, ‘बंगाल में भाजपा का प्रभाव बढ़ना बहुत खतरनाक है. इसका कारण यह है कि भाजपा का मतलब सांप्रदायिकता, गतिरोध, बेरोजगारी है. भाजपा का उदय वाम शासन से भी अधिक खतरनाक है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस साल के विधानसभा चुनाव को पहले के चुनावों की तुलना में मुश्किल समझते हैं, हाकिम ने कहा, ‘आप क्या इसे चुनाव कहते हैं? हमने माकपा के खिलाफ जो चुनाव लड़ा था, वह राजनीतिक था, लेकिन अब कोई राजनीति नहीं है. भाजपा की रणनीति झूठी अफवाहें फैलाना है और वे किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. वे दुष्प्रचार के लिए मीडिया, सोशल नेटवर्किंग मंचों आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ भाजपा कार्यकर्ता मेरे विधानसभा क्षेत्र आए और उन्होंने कहा कि बॉबी हाकिम (बांग्लादेश की राजधानी) ढाका का मूल निवासी है. यह दर्शाता है कि वे मेरे क्षेत्र में किस प्रकार ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं. वे मूर्खों की दुनिया में रहते हैं.’

उन्होंने चुनाव में बनर्जी को पूर्ण बहुमत मिलने का भरोसा जताया.

ममता की हालत हारे हुए खिलाड़ी जैसी: नड्डा

कोलकाता: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तृणमूल कांग्रेस के नारे ‘खेला होबे’ पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हालत एक ‘हारे हुए खिलाड़ी’ जैसी है.

नड्डा ने पूर्व बर्धमान जिले के कालना में एक रोड शो का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि भाजपा और निर्वाचन आयोग की ओर उंगली उठा रहीं, उन पर आरोप लगा रहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख यह भूल गई हैं कि क्या उन्होंने राज्य के लोगों के लिए कुछ ऐसा किया है जिसका कि वह श्रेय ले सकें.

नड्डा ने कहा, ‘ममता की हालत खेल में हारे हुए खिलाड़ी जैसी है. उन्होंने सालों तक राज्य की जनता के साथ केवल अन्याय किया, लेकिन भाजपा अगर सत्ता में आती है तो यहां विकास लाएगी, महिलाओं पर अत्याचार रोकेगी और युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करेगी.’

नड्डा ने कहा, ‘ममता बनर्जी की जबरन वसूली, तुष्टिकरण की राजनीति, उनका तानाशाही भरा बर्ताव और उनकी पार्टी द्वारा चलाए गए रिश्वत के चलन ने राज्य को बरबाद कर दिया है.’

कूच बिहार: माकपा नेता ने कहा- सीआईएसएफ को क्लीनचिट काल्पनिक रिपोर्टों पर दी गई

कोलकाता: वाम दलों, कांग्रेस और आईएसएफ के गठबंधन संयुक्त मोर्चा ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग की सत्यनिष्ठा पर कभी सवाल खड़ा नहीं होना चाहिए. साथ ही यह जानना चाहा कि कूच बिहार गोलीबारी की घटना का कोई वीडियो उपलब्ध नहीं है, ऐसे में आयोग को सीआईएसएफ के पक्ष का समर्थन करने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया.

बिमान बोस. (फोटो: पीटीआई)

बिमान बोस. (फोटो: पीटीआई)

पुलिस के मुताबिक, कूच बिहार के सीतलकूची इलाके में शनिवार को एक मतदान केंद्र के बाहर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जवानों की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों द्वारा कथित तौर पर सुरक्षाकर्मियों की राइफलें छीनने की कोशिश किए जाने के बाद यह घटना हुई थी.

चुनाव आयोग ने सीआईएसएफ जवानों को क्लीन चिट दे दी थी और कहा कि उन्हें अपनी आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी.

माकपा के वरिष्ठ नेता बिमान बोस के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार दिन में मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब से मुलाकात की.

बोस ने दलील दी कि चुनाव आयोग की रिपोर्ट काल्पनिक रिपोर्टों पर आधारित है, जो जिला प्रशासन और कूच बिहार के पुलिस अधीक्षक ने सौंपी थी.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा क्यों है कि किसी ने भी घटना का मोबाइल फोन पर वीडियो नहीं बनाया? मीडियाकर्मी से लेकर आम आदमी तक हर किसी के पास स्मार्टफोन है. चुनाव आयोग ने कहा कि केंद्रीय बलों को गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा था, लेकिन जिलाधिकारी और एसपी की रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है. ’

प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात के बाद कहा, ‘लोगों का चुनाव आयोग में विश्वास कम हो रहा है.’

कूच बिहार गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के लिए अदालत में जनहित याचिकाएं दायर

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के सीतलकूची इलाके में सीआईएसएफ जवानों द्वारा गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच के अनुरोध को लेकर सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं.

उक्त घटना में चार व्यक्तियों की मौत हो गई थी.

एक याचिकाकर्ता के वकील फिरदौस शमीम ने कहा कि अदालत से अनुरोध किया गया है कि सीआईएसएफ की उस कंपनी को पश्चिम बंगाल में चुनाव की ड्यूटी से हटाने का आदेश दिया जाए, जिसके जवानों ने सीतलकूची में गोली चलाई थी.

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया कि 10 अप्रैल को हुई घटना की न्यायिक जांच कराई जाए. एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील रविशंकर चटर्जी ने बाद में कहा कि इस मामले को एक खंडपीठ के सामने शुक्रवार को पेश किया जा सकता है, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश टीबीएन. राधाकृष्णन करेंगे.

बंगाल: छठे चरण में 28 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के छठे चरण में 306 उम्मीदवारों में 28 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है. गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

वेस्ट बंगाल इलेक्शन वॉच और एडीआर ने छठे चरण में जिन 43 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं वहां के सभी 306 उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया.

राज्य में छठे चरण का चुनाव 22 अप्रैल को होने वाला है.

एडीआर ने कहा, ‘306 उम्मीदवारों में 87 (28 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है और 71 (23 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है.’

एडीआर ने उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों के आधार पर कहा कि पार्टीवार दृष्टिकोण से माकपा के 61 प्रतिशत, भाजपा के 58 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस के 56 प्रतिशत, कांग्रेस के 42 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 उम्मीदवारों ने महिलाओं के साथ कथित अपराध करने के अपने खिलाफ मामले होने की घोषणा की है. इन 19 मामलों में एक मामला बलात्कार का है.

रिपोर्ट के मुताबिक छठे चरण में 27 प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं.

असम: एआईयूडीएफ का दावा- भाजपा के पांच-छह उम्मीदवार हैं संपर्क में

गुवाहाटी/सिलचर: ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने मंगलवार को दावा किया कि हाल में खत्म हुए असम विधानसभा चुनाव में भाजपा के पांच-छह उम्मीदवारों ने पार्टी से संपर्क कर कांग्रेस नीत महागठबंधन का समर्थन करने का वादा किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

एआईयूडीएफ भी कांग्रेस नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा है.

भगवा पार्टी द्वारा खरीद-फरोख्त की आशंका के कारण पिछले सप्ताह जयपुर भेजे गए करीब 20 एआईयूडीएफ उम्मीदवारों में से एक करीम उद्दीन बरभुइया ने कहा, ‘भाजपा के पांच-छह उम्मीदवारों ने मुझसे संपर्क कर महागठबंधन का समर्थन करने की बात कही है.’

भाजपा के किन उम्मीदवारों ने संपर्क किया है, यह पूछे जाने पर एआईयूडीएफ के महासचिव बरभुइया ने कहा, ‘अभी नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता. आपको दो मई (मतगणना) के बाद पता चल जाएगा.’

हालांकि भाजपा ने इन दावों को खारिज किया है.

क्या वे बराक या ब्रह्मपुत्र घाटी के भाजपा उम्मीदवार हैं, इस सवाल पर एआईयूडीएफ नेता ने कहा, ‘वे समूचे असम से हैं.’

जीत के बाद भाजपा उम्मीदवारों के महागठबंधन का समर्थन करने की स्थिति में उन पर दल-बदल कानून लागू हो जाएगा, यह उल्लेख करने पर एआईयूडीएफ नेता ने कहा, ‘वे फिर से चुनाव लड़ेंगे.’

खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते एआईयूडीएफ के 20 उम्मीदवारों को कुछ दिन पहले राजस्थान भेजने संबंधी खबरों से बरभुइया ने इनकार किया और दावा किया कि सघन चुनाव अभियान के बाद वे सैर-सपाटे के लिए और अजमेर शरीफ दरगाह गए थे.

बरभुइया ने कहा कि वह सोमवार को असम लौट आए तथा बाकी नेता भी बुधवार को वापस आएंगे.

बहरहाल भाजपा प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने एआईयूडीएफ के दावों का पुरजोर खंडन करते हुए कहा, ‘‘हमारा कोई भी उम्मीदवार विपक्षी दल के संपर्क में नहीं है. हमारी पार्टी अनुशासित है और इसके सदस्य पार्टी नेतृत्व को बताए बिना किसी दूसरे राजनीतिक दल से संपर्क नहीं करते.’

गोस्वामी ने कहा, ‘एआईयूडीएफ से संपर्क करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि भाजपा असम में चुनाव जीतेगी और सरकार बनाएगी.’

गोस्वामी ने तंस कसते हुए कहा, ‘देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई राजनीतिक दल चुनाव परिणाम की घोषणा के पहले ही उम्मीदवारों द्वारा संपर्क किए जाने का दावा कर रहा है.’

असम की 126 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव 27 मार्च से छह अप्रैल के बीच तीन चरणों में हुआ और दो मई को मतगणना होगी.

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info@indiamirror.net (Super User) Election Wed, 14 Apr 2021 00:37:36 +0000
असम चुनाव में बड़ी गड़बड़ी, डाक मतपत्र के साथ मिला अधिकारी, पूरी खबर पढ़कर चौंक जाएंगे आप! https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/135-2021-04-09-19-23-15.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/135-2021-04-09-19-23-15.html

असम के कछार जिले में अनाधिकृत तरीके से डाक मतपत्रों को ले जाने की घटना की प्रशासन जांच कर रहा है। चुनाव प्रक्रिया में शामिल एक सरकारी कर्मचारी सहित दो लोग एक सोशल मीडिया वीडियो में अनाधिकृत रूप से डाक मत पत्रों को ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

असम के कछार जिले में अनाधिकृत तरीके से डाक मतपत्रों को ले जाने की घटना की प्रशासन जांच कर रहा है। चुनाव प्रक्रिया में शामिल एक सरकारी कर्मचारी सहित दो लोग एक सोशल मीडिया वीडियो में अनाधिकृत रूप से डाक मत पत्रों को ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। गुवाहाटी में चुनाव अधिकारियों ने कहा कि कछार के उपायुक्त कीर्ति जल्ली अब इस घटना की जांच कर रहे हैं और वह जल्द ही चुनाव अधिकारियों को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। 

जल्ली ने कछार में जिला मुख्यालय में कहा कि अगर सरकारी कर्मचारी को दोषी पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।वीडियो के अनुसार, बिस्वजीत डे पुरकायस्थ के रूप में पहचाने जाने वाले अधिकारी, गुरुवार रात डाक मत पत्रों को एकत्र करने के लिए एक मतदाता के घर गए थे। 

कुछ लोगों द्वारा पकड़े जाने पर, उन्होंने कहा कि उन्हें डाक मतपत्र को इकट्ठा करने के लिए कहा गया था जो गलत तरीके से एक मतदाता के खिलाफ जारी किया गया था और इसे उच्च अधिकारियों के सामने पेश किया गया है। हालांकि, उन्होंने उच्च अधिकारियों का नाम नहीं बताया।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Fri, 09 Apr 2021 19:16:03 +0000
रोज हिंदू-मुस्लिम करने के लिए चुनाव आयोग ने मोदी के खिलाफ कितने केस दायर किए हैं: ममता बनर्जी https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/134-2021-04-09-19-16-01.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/134-2021-04-09-19-16-01.html

विधानसभा चुनाव राउंडअप: टीएमसी ने ममता बनर्जी को नोटिस जारी करने को लेकर चुनाव आयोग से पूछा कि भाजपा के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.

 केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि ममता बनर्जी को चुनाव प्रचार करने से रोका जाना चाहिए. डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने इनकार किया कि भाजपा के दिवंगत नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान टिप्पणी कर उन्होंने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया.

नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निशाना साधते हुए कहा कि आए दिन सांप्रदायिक टिप्पणियां करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कितने केस दायर किए गए हैं.

पश्चिम बंगाल के दमजुर में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, ‘यदि मेरे खिलाफ दस कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, तब भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं सभी को एकजुट होकर वोट करने के लिए कह रही हूं. नरेंद्र मोदी के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज की गई हैं. वे हर दिन हिंदू-मुस्लिम करते हैं.’

बनर्जी ने आगे कहा, ‘उन लोगों के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए हैं जिन्होंने नंदीग्राम के मुसलमानों को पाकिस्तानी कहा था? क्या उन्हें शर्म नहीं आती है? वे मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते हैं. मैं हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आदिवासियों के साथ हूं.’

https://twitter.com/ANI/status/1380097342662045699

 

मालूम हो कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ममता बनर्जी को हुगली में चुनाव रैली के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं से अपील करने के लिए बीते बुधवार को एक नोटिस जारी किया था.

नोटिस में कहा गया कि चुनाव आयोग को भाजपा के प्रतिनिधिमंडल से शिकायत मिली है, जिसमें आरोप लगाया है कि तीन अप्रैल को बनर्जी ने हुगली में ताराकेश्वर की चुनाव रैली के दौरान मुस्लिम मतदाताओं से की कि उनका वोट विभिन्न दलों में न बंटने दें.

चुनाव आयोग ने पाया है कि उनका भाषण जन प्रतिनिधित्व कानून और आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.

आयोग ने ममता बनर्जी से 48 घंटों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था.

ममता ने मतदाताओं से चौकन्ना रहने को कहा, केंद्रीय बलों द्वारा डराने-धमकाने की आशंका जताई

ममता बनर्जी ने गुरुवार को मतदाताओं को चौकन्ना रहने की सलाह देते हुए कहा कि केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवान गांवों में लोगों को डराने-धमकाने पहुंच सकते हैं.

हुगली जिले के बालागढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय बल ‘अमित शाह द्वारा संचालित केंद्रीय गृह मंत्रालय’ के निर्देशों पर काम कर रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘मैं केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के प्रति सम्मान रखती हूं, लेकिन वे दिल्ली के निर्देशों पर काम कर रहे हैं. वे मतदान वाले दिन से पहले ग्रामीणों पर अत्याचार करते हैं. कुछ तो महिलाओं का उत्पीड़न कर रहे हैं. वे लोगों से भाजपा के लिए वोट करने को कह रहे हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे.’

बनर्जी ने कहा कि राज्य पुलिस बल को चौकन्ना रहना चाहिए और दिल्ली के सामने झुकना नहीं चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपका काम निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना है. कृपया शरारती तत्वों के साथ सख्ती से पेश आएं और एकजुटता बनाकर रखें.’

ग्रामीणों को केंद्रीय बलों की किसी भी ज्यादती पर स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की सलाह देते हुए बनर्जी ने कहा, ‘अगर थानों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए तो हमें सूचित करें.’

भाजपा पर पूरे इलाके में धारा 144 लागू होने का झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘वे दहशत फैलाने के लिए झूठ बोलते हैं. वास्तव में किसी बूथ के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लगी होती है. लेकिन वे हमारे मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक जाने से रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं.’

उन्होंने मतदाताओं से कहा कि पश्चिम बंगाल को ‘एक और गुजरात’ नहीं बनने दें.

उन्होंने कहा, ‘अगर आप गुप्तीपारा की सबसे पुरानी दुर्गा पूजा को बचाना चाहते हैं, यदि आप दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों को बचाना चाहते हैं तो भाजपा को हराएं.’

बनर्जी ने महेश में ऐतिहासिक रथयात्रा के संरक्षण का, बंदेल चर्च में समारोहों का, जंगलमहल में अनोखे संथाल त्योहारों के संरक्षण का अपना वादा दोहराया तथा भाषण समाप्त करते हुए ‘चंडी मंत्र’ पढ़ा.

तृणमूल कांग्रेस ने ममता को नोटिस जारी करने को लेकर चुनाव आयोग पर साधा निशाना

वहीं तृणमूल कांग्रेस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नोटिस जारी करने को लेकर बीते बुधवार को चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए सवाल किया कि भाजपा के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.

तृणमूल कांग्रेस की प्रवक्ता महुआ मोइत्रा ने कहा कि चुनाव आयोग भेदभाव करना बंद करे.

मोइत्रा ने ट्वीट किया, ‘भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग ने ममता दीदी को नोटिस जारी किया. तृणमूल कांग्रेस की शिकायतों पर क्या हुआ. भाजपा उम्मीदवार द्वारा नकदी बांटने के वीडियो सबूत भी हैं. भाजपा की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए कैश कूपन भी बांटे गए.’

चुनाव आयोग ने हुगली में प्रचार के दौरान सांप्रदायिक आधार पर वोटरों से कथित तौर पर अपील करने को लेकर बनर्जी को नोटिस जारी किया है.

जितने भी राज्यों में चुनाव हुआ, उनमें से केवल बंगाल में हिंसा देखी गई: अधीर रंजन चौधरी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिन चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें से हिंसा की घटनाएं केवल पश्चिम बंगाल में हुई और इसके लिए भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है.

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल ईकाई के अध्यक्ष चौधरी ने बीते बुधवार को पत्रकारों से कहा, ‘हालांकि इस बार अब तक हुए तीन चरणों के चुनाव में पश्चिम बंगाल में हिंसा की ऐसी घटनाएं कम रहीं और इसका श्रेय निर्वाचन आयोग (ईसी) को जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के अलावा तीन अन्य राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ लेकिन बूथ पर कब्जा करना, खूनखराबा और हमले की घटनाएं केवल हमारे राज्य में सुनी गई.’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा कि केवल केंद्रीय बलों के जवान ही चुनाव के दौरान हर अप्रिय घटना को नहीं रोक सकते और इसकी जिम्मेदारी राज्य पुलिस पर भी बनती है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि वाम-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन पश्चिम बंगाल में तीसरी ताकत के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.

उन्होंने कहा कि कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में 28 फरवरी को गठबंधन की रैली में भारी संख्या में लोग ‘फासीवादी और अलोकतांत्रिक’ ताकतों के खिलाफ एकजुट हुए.

चौधरी ने कहा कि यह दिलचस्प है कि टीएमसी और भाजपा दोनों यह कह रही हैं कि चुनाव में उनका लक्ष्य 200 सीटें जीतने का है.

भाजपा अपने एजेंडे के अनुरूप इतिहास को बदलना चाहती है: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भाजपा पर हमला करते हुए दावा किया कि पार्टी अपने एजेंडे के अनुरूप कई स्थानों के इतिहास को बदलना चाहती है.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि भाजपा ‘अधिनायकवादी शासन’ लागू करेगी, जिसमें वह तय करेगी कि लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या पहनना चाहिए.

बनर्जी ने चुनावी सभा में कहा, ‘उन्होंने (भाजपा ने) कई स्टेशनों के नाम बदल दिए. उन्होंने क्रिकेट स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री के नाम पर कर दिया. वह दिन दूर नहीं जब वे आपका और हमारा नाम भी बदल देंगे.’

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

ममता बनर्जी. (फोटो: पीटीआई)

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा अपने एजेंडे के अनुरूप कई स्थानों के इतिहास को बदलना चाहती है. हालांकि, उन्होंने रेलवे स्टेशनों या किसी स्थान के नाम का जिक्र नहीं किया.

निर्वाचन आयोग सांप्रदायिक भाषणों के कारण ममता बनर्जी को चुनाव प्रचार करने से रोके: बाबुल सुप्रियो

टॉलीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का कहना है कि ‘अति कटु और सांप्रदायिक’ भाषणों तथा बंगाल के राजनीतिक विमर्श को अब तक के ‘निम्नतम स्तर’ पर ले जाने की वजह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनाव प्रचार करने से रोका जाना चाहिए.

आसनसोल से लोकसभा सदस्य सुप्रियो ने विपक्ष के इस दावे को खारिज किया कि भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारकर उनकी ‘पदावनति’ की है. उन्होंने कहा कि वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे.

सुप्रियो ने कहा, ‘मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ममता बनर्जी जिस तरह की टिप्पणियां कर रही हैं, वह शर्मनाक है. अपने अति कटु भाषणों और सांप्रदायिक प्रचार से वह राजनीतिक विमर्श को अब तक के निम्नतम स्तर पर पहुंचा चुकी हैं. निर्वाचन आयोग को उन्हें पूरे चुनाव तक के लिए प्रचार से रोक देना चाहिए.’

सुप्रियो ने राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन बताने के लिए बनर्जी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की तथा कहा कि हर किसी को निजी हमले करने से बचना चाहिए.

जाने-माने गायक ने कहा कि राजनीति में लोगों को विचारधारा और नीतियों के मुद्दे पर लड़ना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन विरोधियों को दुश्मन मानना, यह बदलाव, ममता बनर्जी का बंगाल की राजनीति को दिया गया उपहार है. इसे बदलना होगा और भाजपा इसे बदलेगी.’

इन दावों कि पार्टी के कई सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ‘विवश’ किया गया क्योंकि भाजपा के पास पर्याप्त संख्या में अच्छे उम्मीदवार नहीं थे, पर्यावरण राज्य मंत्री ने इसका जवाब ‘न’ में दिया.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा बंगाल के सम्मान, गौरव और आत्मा के लिए लड़ रही है तथा हम सभी इसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं.’

भाजपा ने राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता सहित अपने पांच सांसदों और पार्टी उपाध्यक्ष मुकुल रॉय को बंगाल में विधानसभा चुनाव में उतारा है. दासगुप्ता को यहां तक कि संवैधानिक कारणों से राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा.

सुप्रियो टॉलीगंज से तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं तीन बार के विधायक और राज्य के मंत्री अरूप बिस्वास के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.

यह पूछे जाने पर कि वह अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र आसनसोल से दूर तथा अधिक चुनौतीपूर्ण सीट से क्यों चुनाव लड़ रहे हैं, सुप्रियो ने कहा कि वह मुश्किल सीट से लड़ना चाहते थे.

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भाजपा 200 से अधिक सीट जीतकर बंगाल में सरकार बनाने जा रही है.

सुप्रियो इस सवाल को टाल गए कि क्या वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में शामिल होंगे.

उन्होंने कहा, ‘अभी, मैं अपनी सीट जीतने पर ध्यान दे रहा हूं. जहां तक आपके सवाल का संबंध है तो इस बारे में पार्टी को निर्णय करना है. मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना है. मैं अपनी पार्टी के निर्देशों का पालन करूंगा.’

भाजपा सांसद ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया.

कोलकाता के बेहाला में मिथुन के रोड शो की अनुमति नहीं, भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया

भाजपा को गुरुवार को शहर के बेहाला इलाके में अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का रोड शो निकालने की अनुमति नहीं दी गयी, जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक थाने के बाहर प्रदर्शन किया. मिथुन चक्रवर्ती हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे.

बेहाला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहीं अभिनेत्री श्राबंती चटर्जी के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया.

पश्चिम बंगाल में रोडशे करते भाजपा नेता मिथुन चक्रबर्ती. (फोटो: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल में रोडशे करते भाजपा नेता मिथुन चक्रबर्ती. (फोटो: पीटीआई)

प्रसिद्ध बांग्ला अभिनेत्री और भाजपा नेता चटर्जी ने कहा, ‘कोलकाता पुलिस ने हमारे नेता मिथुन चक्रवर्ती को बिना किसी कारण के मेरे लिए प्रचार करने की अनुमति नहीं दी.’

उन्होंने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस हमें प्रचार करने से रोकने के इस तरह के अलोकतांत्रिक कृत्यों से अपनी होने वाली हार को नहीं टाल सकती. क्या राज्य सरकार को सत्ता जाने का डर है?’

भाजपा कार्यकर्ताओं ने परणाश्री थाने के सामने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी की.

भाजपा सूत्रों ने कहा कि शहर पुलिस ने बुधवार रात को जब रोडशो के आवेदन को निरस्त कर दिया तो पार्टी ने बेहाला इलाके में अभिनेता मिथुन को घर-घर जाकर प्रचार करने देने की अनुमति मांगी.

उन्होंने दावा किया कि अंतिम समय में इसकी इजाजत भी नहीं दी गयी.

कोलकाता पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं कहा.

भाजपा उम्मीदवार ने बाद में विधानसभा क्षेत्र में रोडशो निकाला जिसमें मिथुन शामिल नहीं हुए. चटर्जी इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ खड़ी हैं.

हालांकि मिथुन चक्रवर्ती ने केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो के समर्थन में टॉलीगंज में रोड शो निकाला.

बंगाल भाजपा अध्यक्ष ने तृणमूल कार्यकर्ताओं पर लगाया हमला करने का आरोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बीते बुधवार को आरोप लगाया कि उत्तर बंगाल के कूचबिहार जिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर बम एवं ईंटों से हमला किया. सत्तारूढ़ पार्टी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

घोष ने कहा कि सीतलकूची में भाजपा की बैठक के बाद उनकी कार पर हमला किया गया जिसमें उनकी कार की खिड़कियों के शीशे टूट गए.

कार में जिस तरफ वह बैठे थे, उधर की खिड़की का शीशा भी टूटा गया जिसके बाद उन्हें एक ईंट भी आकर लगी.

घोष ने वीडियो संदेश में कहा, ‘अगर यह स्थिति है, तो कोई कैसे कूचबिहार में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव की उम्मीद कर सकता है जहां लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बदलाव के पक्ष में मतदान किया था.’

कूचबिहार जिले में विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 10 अप्रैल को मतदान होना है.

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कूच बिहार समेत उत्तर बंगाल में सात सीटें जीती थी

आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली से लौट रहे तृणमूल कार्यकर्ता घोष की बैठक में शामिल हुए भाजपा कार्यकर्ताओं से उलझ गए थे.

घोष ने कहा, ‘मैं बैठक के बाद अपनी कार में लोगों के वहां से जाने का इंतजार कर रहा था जब टीएमसी का झंडा लिए लोगों ने हम पर बंदूकों, ईंटों, बमों और डंडों से हमला किया गया. यह तालिबानी हमले की तरह था.’

उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी पर कई देशी बम फेंके गए.

तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि हमले में सत्तारूढ़ पार्टी का हाथ नहीं है.

स्वराज, जेटली पर टिप्पणी से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ: उदयनिधि

डीएमके की युवा इकाई के नेता उदयनिधि स्टालिन ने बीते बुधवार को इनकार किया कि भाजपा के दिवंगत नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान टिप्पणी कर उन्होंने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया.

चुनाव आयोग द्वारा बीते मंगलवार को जारी नोटिस पर जवाब देते हुए उदयनिधि ने कहा कि उनके समूचे भाषण पर गौर नहीं किया गया और केवल दो लाइनों का हवाला दिया गया है.

उदयनिधि स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

उदयनिधि स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

चुनाव आयोग ने उदयनिधि को बुधवार शाम पांच बजे के पहले नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया था और ‘ऐसा नहीं होने पर आगे बिना बताए कदम उठाने के बारे में कहा गया था.’

अपने जवाब में उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि दो लाइनों के संदर्भ पर फैसला करते समय उनके समूचे भाषण के सार और इरादे की सराहना होनी चाहिए. उन्होंने दलील दी कि चुनाव आयोग को समूचा बयान प्रस्तुत करना चाहिए.

उदयनिधि ने कहा, ‘शुरुआत में ही मैंने इनकार किया कि मैंने आचार संहिता का किसी प्रकार से उल्लंघन किया.’

नोटिस में कहा गया था कि चुनाव आयोग को भाजपा से एक शिकायत मिली है जिसमें आरोप लगाया गया कि उदयनिधि स्टालिन ने 31 मार्च को धारापुरम में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सुषमा स्वराज और अरुण जेटली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गयी प्रताड़ना और दबाव को नहीं सहन कर पाए जिससे उनकी मौत हो गयी.’

तमिलनाडु विधानसभा की 234 सीटों पर चुनाव के लिए प्रचार चार अप्रैल को खत्म हुआ और मतदान मंगलवार को हुआ था.

 

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info@indiamirror.net (Super User) Election Fri, 09 Apr 2021 19:11:17 +0000
बंगाल के पहले दौर में बंपर वोटिंग के क्या हैं मायने, दीदीगिरी चलेगी या लहराएगा भगवा! https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/121-2021-03-27-20-17-50.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/121-2021-03-27-20-17-50.html

पश्चिम बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव के पहले दौर में मतदाताओं ने बंपर वोटिंग की। इससे जहां पहले दौर के उम्मीदवारों की धड़कने बढ़ गई हैं वहीं राजनीतिक विश्लेषक इस कयास में जुट गए हैं कि आखिर इसके क्या मायने हैं और इससे किसे फायदा होगा!

पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा के लिए पहले दौर में 77 सीटों के लिए मतदान खत्म हो गया। पहले दौर में दोनों ही राज्यों में मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। चुनाव आयोग के मुताबिक शाम 6 बजे तक पश्चिम बंगाल में 79.79 फीसदी और असम में 72.14 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मतदान का समय एक घंटे अधिक रखा गया था। पहले दौर में हुई बंपर वोटिंग से कई किस्म के कयास लगने लगे हैं।

ओपीनियन पोल्स में तो पहले दिन से ही आंकड़े ममता का पलड़ा भारी दिखा रहे हैं, हालांकि कुछ ने बंगाल बीजेपी और तृणमूल के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान भी जताया है। लेकिन पहले दौर में हुए भारी मतदान के पीछे क्या संदेश है। इससे किसे फायदा होगा, क्या ममता तीसरी बार पश्चिम बंगाल की बागडोर संभालेंगी या फिर बीजेपी ऐतिहासिक उलटफेर करते हुए भगवा फहराएगी?

वैसे तो बंगाल का इतिहास अधिक मतदान का रहा है, लेकिन आमतौर पर धारणा यह है कि बंपर वोटिंग को सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ जनादेश माना जाता है। हालांकि कई बार यह धारणा गलत भी साबित हुई है। बंगाल इस मामले में अनोखा रहा है, 1996 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में करीब 83 फीसदी वोटिंग हुई थी, लेकिन फिर भी नतीजा सत्ताधारी सीपीएम के ही हक में गया था। इसी तरह 2006 में भी बंगाल में करीब 82 फीसदी वोट पड़े थे लेकिन फिर सत्ताधारी सीपीएम ने ही बाजी मारी थी।

लेकिन 2011 के चुनाव में बंगाल में ममता बनर्जी ने लेफ्ट के लाल किले को ढहा दिया। इसके बाद 2016 के विधानसभा चुनाव में करीब 84 फीसदी वोटरों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया, लेकिन सत्ता में वापसी ममता बनर्जी की ही हुई।

लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी का मुकाबला राज्य के मुख्य विपक्षी दल के बजाए बीजेपी से है, जिसका मौजूदा विधानसभा में सिर्फ एक ही विधायक है। हालांकि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर अपना जनाधार मजबूत करने का संदेश दे चुकी है। इसी दम पर बीजेपी ममता बनर्जी को उखाड़ने के दावे भी कर रही है।

 

लेकिन पहले दौर में ही 82 फीसदी मतदाताओं का पोलिंग बूथ तक आना मिला-जुला संकेत देता है और विश्लेषकों की मानें तो इसका फायदा ममता बनर्जी की तृणमूल को ही हो सकता है। उनका तर्क है कि अधिक मतदान का अर्थ है कि दोनों ही दलों को वोटरों में उत्साह है लेकिन वोटिंग में हिस्सेदारी तृणमूल के समर्थकों की अधिक होने के संकेत सामने आए हैं। इसका कारण यह भी है कि तृणमूल के पास महिलाओं का अच्छा समर्थन है, यही कारण है कि ममता बनर्जी ने इस चुनाव में काफी बड़ी संख्या में महिलाओं को मैदान में उतारा है। हालांकि देहाती इलाकों और आखिर तक अपनी राय जाहिर न करने वाले वोटर निर्णायक साबित हो सकते हैं।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Sat, 27 Mar 2021 19:55:12 +0000
बंगाल चुनाव: ममता बनर्जी ने जारी किया TMC का घोषणापत्र, रोजगार, राशन और पेंशन समेत किए कई वादे https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/120-tmc.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/120-tmc.html

पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का घोषणा पत्र जारी कर दिया। कोलकाता में घोषणा पत्र जारी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई नए वादे किए हैं।

पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का घोषणा पत्र जारी कर दिया। कोलकाता में घोषणा पत्र जारी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई नए वादे किए हैं। ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि टीएमसी फिर सत्ता में आई तो प्रदेश में विकास की बहार ला देंगे। टीएमसी ने वादा किया है कि सत्ता में वापसी पर एक साल में पांच लाख नौकरियों पैदा की जाएंगी। उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को 10 लाख रुपए की खर्च सीमा वाला क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा। इसमें सिर्फ चार फीसदी ब्याज देना होगा। ममता बनर्जी ने दावा किया कि राज्य से 40 फीसदी तक गरीबी दूर कर दी गई है। 

उन्होंने कहा कि ‘दुआरे सरकार’ कार्यक्रम अब साल में चार महीने तक चलेंगे। इसमें लोगों को दरवाजे पर ही मुफ्त राशन दिया जाएगा। उन्होंने विधवा महिलाओं को मई से एक हजार रुपये देने का ऐलान किया है। एससी- एसटी को सलाना 12 हजार रुपये और निम्न वर्ग के लोगों को 6 हजार रुपये देने का ऐलान भी ममता बनर्जी ने किया है। किसानों के लिए वार्षिक वित्तीय सहायता 6,000 रुपए से बढ़ा कर 10,000 रुपए किया जाएगा। पांच लाख रुपए हेल्थ इंश्योरेंस आगे भी चलता रहेगा। 

उन्होंने कहा कि राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए 10 लाख एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इससे भारी संख्या में युवाओं और बेरोजगारों को नौकरियां मिलेंगी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में 27 मार्च, एक अप्रैल, 6 अप्रैल, 10 अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को मतदान होगा। सभी राज्यों में सभी सीटों के लिए वोटों की गिनती 2 मई को होगी। पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Wed, 17 Mar 2021 20:42:10 +0000
नीतीश से मजदूर वर्ग नाराज, बोले- सरकार ने छीन ली रोजी-रोटी, इस चुनाव में चखाएंगे मजा https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/116-2020-10-11-23-26-16.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/116-2020-10-11-23-26-16.html

बिहार में नौकीर का अभाव है। ज्यादातर लोगों को रोजी-रोटी के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ता है। मजदूर वर्ग नीतीश से बहुत नाराज बताया जा रहा है है। उनका कहना है कि नीतीश ने उन लोगों की रोजी-रोटी छीन ली है और इस चुनाव में उनको मजा चखाया जाएगा।

2015 विधानसभा चुनाव के समय हम गया जिले के इस्माइलपुर, बहादुरपुर, बिगहा से चुड़ावन नगर गांव की तरफ जा रहे थे। एक मोड़ के पास युवकों की टोली दिखी। यह दो-तीन टुकड़ों में बैठकर ताश खेल रही थी। सारे युवक भुइयां समुदाय के थे। मैंने उनसे पूछा कि भाई रोजी-रोजगार के बदले ताश क्यों खेल रहे हो। तो युवकों ने जो कहा, उसका मतलब था कि पहले इस इलाके में स्टोन क्रशर का उद्योग काफी फल-फूल रहा था, मगर कुछ साल पहले नीतीश सरकार ने उस पर रोक लगा दी। मैंने उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि यह तो अच्छी बात है। पहाड़ खत्म हो जाएंगे तो क्या आपको अच्छा लगेगा? मगर वे इस बात पर अड़े थे कि नीतीश ने उन लोगों की रोजी-रोटी छीन ली है और इस चुनाव में उनको मजा चखाया जाएगा। उन्हें पर्यावरण का मसला समझाना मुश्किल काम था।

उन लोगों ने कहा कि धान के सीजन में गांव में जो खेती-मजदूरी का काम मिलता है, कर लेते हैं। बरसात का मौसम खत्म होता है तो औरंगाबाद जिले के दाउदनगर की तरफ निकल जाते हैं ताकि वहां के ईंट-भट्ठों में काम कर सकें। ईंट-भट्ठे मजदूरी करने के लिहाज से सबसे बुरी जगह होते हैं। फिर ये लोग ऐसी जगह क्यों जाते हैं? उन्होंने कहा, क्या करें। गांव में रोजी-रोटी का इंतजाम हो तब न। मनरेगा भी बंद है। मनरेगा रहता था तो कुछ काम मिलता था। उसी दौरान हमारे पीएम नरेंद्र मोदी संसद में कांग्रेस पर कटाक्ष कर रहे थे कि मनरेगा आपकी विफलताओं का स्मारक है, मैं इसे कभी बंद नहीं करूंगा। मगर कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के वक्त जब असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, खासकर प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा की कहानियां सामने आईं तो केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को उसी मनरेगा की शरण में जाना पड़ा। केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट जारी किया। 

बिहार सरकार ने भी कहा कि वह साल 2020 में मनरेगा के जरिये 24 करोड़ मानव श्रम दिवस का काम सृजित करने जा रही है, यानी कम-से-कम 24 लाख मजदूरों को सौ दिन का रोजगार इससे मिल सकता है। जबकि पिछले साल बिहार सरकार सिर्फ 20 हजार मजदूरों को ही सौ दिन का रोजगार उपलब्ध करा पाई थी। 

वैसे, नीतीश सरकार के पिछले कार्यकाल में एक वक्त ऐसा भी था जब मनरेगा में ठीक-ठाक काम मिलने के कारण मजदूरों ने बाहर जाना बंद कर दिया था। तब पंजाब और हरियाणा के किसान बिहार आकर बैठे रहते थे, मजदूरों की खुशामद करते थे। उन्हें ले जाने के लिए मोबाइल और टीवी गिफ्ट करते थे। इस कोरोना काल में भी ऐसा ही दिखा, जब देश के लगभग हर इलाके की लग्जरी बसें मजदूरों को लेने बिहार के गांव-गांव घूमती नजर आईं। 

2018 के जून में एक रोज अचानक फेसबुक पर एक स्टेटस दिखा- ‘गुड न्यूजः सहरसा जंक्शन रेवेन्यू कलेक्शन में नंबर वन’। गूगल किया तो पता चला कि13 से 17 जून की अवधि में इस जंक्शन से दो करोड़ रुपये के टिकट कटे। पता चला कि पंजाब-हरियाणा में धनरोपनी का सीजन था, सारे मजदूर वहीं जा रहे थे। पांच दिनों की अवधि में इस स्टेशन से दो करोड़ के टिकट कटे हैं, तो इसका मतलब है इस अवधि में कम-से-कम 60 हजार मजदूर बाहर गए होंगे। फिर खबर आई कि दरभंगा, कटिहार, समस्तीपुर, हाजीपुर, जयनगर, मोतिहारी, बेतिया आदिहर छोटे स्टेशन पर उस दौरान मजदूरों की तकरीबन वैसी ही भीड़ थी। वे हर कीमत पर पंजाब या हरियाणा जाना चाहते थे क्योंकि वहां धनरोपनी की अच्छी मजदूरी मिलती है। इसलिए हर साल रोपनी और धनकटनी के मौके पर पूरे राज्य से लाखों मजदूर चले जाते हैं और दो-तीन महीने रहकर लौट आते हैं।

2017 में भी भीषण बाढ़ के बाद जब खेतों में कुछ नहीं बचा तो मजदूर दीवाली-छठ जैसे पर्वों का मोह छोड़ पंजाब चले गए। उन दिनों सहरसा, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, कटिहार-जैसे उत्तर बिहार के दूसरे इलाकों से भी रोजाना औसतन एक से सवा लाख लोग पलायन कर रहे थे। दरभंगा जंक्शन पर हमारे एक साथी को एक ऐसा युवक मिला जिसके दादा भी मजदूरी के लिए पंजाब जाते रहे थे। फिर पिता ने जाना शुरू किया और अब वह जा रहा है। 

मगर जैसा कि हमने बाद में कोरोना और लॉकडाउन के दौरान देखा कि मजदूरों के पलायन और उनकी काम की परिस्थितियों के बारे में अब तक किसी सरकार के पास कोई सुस्पष्ट जानकारी नहीं है। किसी को पता नहीं था किकितने मजदूर बिहार से पलायन करते हैं और वे इस दौरान कहां रहते हैं, उन्हें कितनी आमदनी होती है। उनकी रोजगार की परिस्थितियां कैसी हैं। हम सबने देखा कि लॉकडाउन ने अचानक इस पूरी स्थिति को उघार कर रख दिया है। हर बड़े शहर से इन मजदूरों की भीड़ निकल पड़ी, अपने घर जाने के लिए। कंधे पर बैग, गोद में और उंगलियां थामे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग। सबके सब पैदल ही घर जाने का मंसूबा बांधकर निकल पड़े। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 30 लाख के करीब मजदूर बिहार लौटे। पहले बिहार सरकार इन मजदूरों की वापसी के पक्ष में नहीं थी। वह चाहती थी किलॉकडाउन के दौरान वे जहां हैं, वहीं रहें। सरकार को ये मजदूर बोझ लगते थे, जो अपनी कमाई से अब तक बिहार के गांवों को समृद्ध कर रहे थे। 

मार्च, 2020 तक बिहार सरकार का रवैया पलायन को लेकर काफी लचर था। 2020 के फरवरी में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज, मुंबई ने बिहार और उत्तर प्रदेश से पलायन करने वाले लोगों पर अध्ययन किया। यह रिपोर्ट इशारा थी जो कोरोना काल में विस्फोट कर गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के हर दूसरे परिवार के लोग किसी-न-किसी वजह से पलायन करते हैं। बिहार से दूसरे राज्य पलायन करने वाले लोगों में 80 फीसदी या तो भूमिहीन हैं, या उनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। मतलब साफ है कि खेती से पेट पालना उनके लिए असंभव है। पलायन करने वाले 85 फीसदी लोगों ने दसवीं तक भी पढ़ाई नहीं की। ऐसे में यह एक भ्रम है कि लोग अपने टैलेंट की वजह से बाहर बुलाए जाते हैं। 90 फीसदी लोगों को अकुशल मजदूरी का काम मिलता है। बिहार से बाहर जाकर नौकरी या रोजगार करने वाले लोग इतने सस्ते मजदूर साबित होते हैं कि वे साल में औसतन 26,020 रुपये ही कमा पाते हैं जबकि देश की राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति आय 1,35,050 रुपये तक पहुंच गई है, यानी बिहारी मजदूरों के मुकाबले पांच गुनी। 

मतलब यह कि बिहार में आधे लोगों के पास दो-ढाई हजार रुपये प्रतिमाह के रोजगार का भी मौका नहीं हैं। सच यही है कि नीतीश-सुशील मोदी की जोड़ी के लगभग 15 साल तक राज के बावजूद बिहार में रोजगार संभावनाएं नहीं बढ़ीं। बिहार सरकार द्वारा 2020 में जारी आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी इस कड़वी सचाई को उजागर करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में सिर्फ 11.9 फीसदी लोगों के पास नियमित रोजगार है। ऐसे मजदूर जिन्हें कभी रोजगार मिलता है, कभी नहीं, उनकी संख्या32.1 फीसदी है। इन आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 45 फीसदी लोगों की आजीविका का आधार खेती है। मगर राज्य में 65 फीसदी लोग भूमिहीन हैं और जिनके पास जमीन है भी, उनमें से अधिकतर लघु एवं सीमांत किसान हैं। बिहार में कुल 1.40 करोड़ भूस्वामियों में से 1.28 करोड़ सीमांत किसान हैं, यानी उनके पास औसतन 0.25 हेक्टेयर जमीन ही है। राज्य की जीडीपी में खेती का हिस्सा भी 17.1 फीसदी रह गया है।

राज्य में उद्योगों की संख्यासिर्फ 2,908 है। इनसे एक लाख लोगों को ही रोजगार मिलता है और आय भी बमुश्किल 10 हजार रुपये प्रतिमाह। ऐसे में लोगों के पास पलायन का ही विकल्प बचता है। कोरोना काल में सरकार के पास उन्हें रोकने को कोरे वायदे ही थे। लिहाजा, ज्यादातर फिर पलायन कर गए जबकि मुख्यमंत्री बार-बार कह रहे थे कि जो लोग रहना चाहते हैं, उन्हें रोजगार दिया जाएगा। अब लॉकडाउन के बीच मजदूरों का पलायन शुरूहो गया है। जैसे, बिहार एक ‘रुकतापुर’ स्टेशन हो जहां प्रवासी मजदूर पर्व-त्योहार, शादी-ब्याह और कोरोना-जैसी आपदाओं के वक्तही आते हैं, फिर लौट जाने के लिए।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Sun, 11 Oct 2020 23:23:21 +0000
बिहार चुनावः नीतीश के साथ नहीं, खिलाफ है बीजेपी का गेम प्लान, चुनाव बाद सीएम पद से विदाई की है तैयारी! https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/111-2020-10-10-23-46-05.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/111-2020-10-10-23-46-05.html

ऐसा नहीं है कि नीतीश को अंदाजा नहीं है कि बीजेपी उनके साथ खेल कर रही है। फिर भी, वह बीजेपी का हाथ थामे हुए हैं, क्योंकि उन्हें भी अंदाजा है कि बीजेपी के बिना उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल नहीं होने वाली है।

बिहार में सत्ता की कमान संभालने को व्याकुल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेतृत्व का भी अपना आकलन है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक तौर पर कमजोर हो गए हैं। इसे प्रदेश स्तर के एक बीजेपी नेता ने इस तरह कहाः ‘नीतीश अब चेहरा मात्र हैं। उनकी पकड़ कमजोर हो गई है। उच्च अधिकारी अब उनको इग्नोर करते हैं। हम विकल्प की तलाश में हैं और चुनाव-बाद मुख्यमंत्री-पद से उनकी विदाई हो जाएगी।’

इस बार बीजेपी में बिहार चुनाव अभियान की कमान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लेफ्टिनेंट कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं। पिछले छह महीने से महाराष्ट्र और गुजरात के काफी सारे लोग बिहार में सक्रिय हैं। पिछले लगभग छह-सात साल से बीजेपी इसी तरह सभी राज्यों में चुनाव लड़ती ही रही है और इसलिए स्थानीय नेताओं को भी इस बार इसमें कोई अजूबा नहीं लग रहा।

’बाहरी’ कहे जाने वाले ये बीजेपी कार्यकर्ता-नेता भी जानते हैं कि यहां नीतीश कुमार के बिना सत्ता हासिल नहीं होने वाली। वे भी इस बात से परिचित हैं कि नीतीश के बिना संभवतः बीजेपी तीसरे नंबर पर चली जाएगी। ऐसा नहीं है कि नीतीश को अंदाजा नहीं है कि बीजेपी उनके साथ खेल कर रही है। फिर भी, वह बीजेपी का हाथ थामे हुए हैं, क्योंकि उन्हें भी अंदाजा है कि बीजेपी के बिना उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल नहीं होने वाली।

 राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना सही ही है कि बिहार की राजनीति त्रिदेव के सहारे चल रही है। पहले नंबर पर अब भी राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही हैं। वह भले ही रांची जेल में हों, बीजेपी-जेेडीयू का पूरा अभियान उनके खिलाफ ही चलता है। लालू के बेटे तेजस्वी की राजनीतिक धार की इसीलिए इस बार परीक्षा है।

वहीं, राजनीति के मौसम विज्ञानी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान अपने को लालू के बाद सबसे ताकतवर मानते-बताते हैं। इन दिनों वह बीमार हैं और दिल्ली के एक अस्पताल में हैं। उनके बेटे चिराग पासवान के ताजा कदम बताते हैं कि वह आने वाले दिनों के राजनीतिक मौसम विज्ञानी बन सकते हैं। ऐसे में, 15 वर्षों से शासन संभाल रहे नीतीश कुमार फिर से अपने को स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री मान रहे हैं।

इस तरह बिहार में बीजेपी मेन फोर्स अब भी नहीं है। जब नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी राष्ट्रीय राजनीति में उभर कर आई तो प्लान यह था कि बीजेपी की जमीन बिहार में मजबूत की जाए। लेकिन तमाम मशक्कत के बावजूद ऐसा हो नहीं पाया। सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री ही बने रहे और कुल मिलाकर, सब दिन पार्टी में भी यही संदेश गया कि उनमें इससे ऊपर के पद की कूवत नहीं है। पार्टी के अन्य कुछ नेता चर्चित तो रहे, पर गलत कारणों से और तब भी, कोई सर्वमान्य नहीं हो सका। 

बीजेपी के ही एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने नीतीश को कमजोर करने के कई उपाय किए लेकिन उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार की चलने नहीं दी। छोटे से बड़े भाई की भूमिका में आने की तलाश में ही प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक तौर पर चिराग पासवान की तारीफ की और पिछले कुछ महीनों में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा छह बार चिराग पासवान से मिले। पर बीजेपी को भी अभी लोजपा का गुब्बारा खेलने लायक नहीं लग रहा है।

तब भी इन चुनावों में परोक्ष रूप से खेले जा रहे खेल में यह बात प्रत्यक्ष है कि बीजेपी, एलजेपी के जरिये जेडीयू और नीतीश कुमार को कमजोर करेगी। तब ही तो कुछ बीजेपी-प्रायोजित उम्मीदवार एलजेपी के टिकट पर जेडीयू प्रत्याशियों से जोर-आजमाइश करने की तैयारी में हैं। यह नीतीश को खारिज नहीं, बल्कि उन्हें कमजोर करने का दांव है। तैयारी यह है कि बीजेपी उम्मीद से ज्यादा सीटें ले आए और जेडीयू को उससे कम सीटें मिले।

नीतीश के पास फिलहाल तो विकल्प नहीं है। वह 15 वर्षों से गद्दी पर हैं और उन्हें भी अंदाजा है कि एंटी-इन्कम्बेंसी का सामना उन्हें करना पड़ेगा। कोरोना के प्रकोप ने कोढ़ में खाज का काम किया है। अपराध मुक्त बिहार का उनका संकल्प औंधे मुंह गिर चुका है। शराबबंदी ने उन्हें महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया था, लेकिन आज आप जहां, जब चाहें, किसी भी ब्रांड की शराब मिल जाएगी। पुल, एप्रोच रोड, सामान्य सड़कों के धंसने-बहने की खबरों पर आश्चर्य नहीं होता, यही यह बताने को काफी है कि भ्रष्टाचार कितना है।

ऐसे में, अगर नीतीश कुमार भी चुनाव में सम्मानजनक सीटें जीतकर ही संतोष कर लें, तो आश्चर्य नहीं। पर, हां, चुनाव-बाद वह बीजेपी को किनारे कर फिर आरजेडी से हाथ मिलाने की जुगत भिड़ाएं, तब भी चौंकने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।

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info@indiamirror.net (Super User) Election Sat, 10 Oct 2020 23:43:43 +0000
बिहार चुनाव : LJP ने जारी की 42 उम्मीदवारों की पहली सूची, BJP, JDU से आए कई चौंकाने वाले नाम शामिल https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/110-ljp-42-bjp-jdu.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/110-ljp-42-bjp-jdu.html

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 42 उम्मीदवारों की पहली सूची गुरुवार को जारी की, जिसमें BJP और JDU से पाला बदलकर एलजेपी में शामिल हुए नेताओं को भी मौका दिया गया है।

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 42 उम्मीदवारों की पहली सूची गुरुवार को जारी की, जिसमें BJP और JDU से पाला बदलकर एलजेपी में शामिल हुए नेताओं को भी मौका दिया गया है। एलजेपी की ओर से जारी उम्मीदवारों की पहली सूची में नौ महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया है।

पार्टी की ओर से बताया गया कि, "एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बीती रात देर से अस्पताल से लौटने के इस सूची में शामिल उम्मीदवारों के नामों का चयन किया।"

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एलजेपी ने हाल ही में जनता दल यूनाइटेड से वैचारिक मतभेद को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होकर अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर एलजेपी का दामन थामने वाले रामेश्वर चैरसिया, राजेंद्र सिंह, डॉ. उषा विद्यार्थी, डॉ. रविंद्र यादव के अलावा जेडीयू से आए भगवान सिंह कुशवाहा को भी उम्मीदवार बनाया गया है।

रामेश्वर चैरसिया को सासाराम से प्रार्टी प्रत्याशी बना गया है, जबकि भगवान सिंह कुशवाहा को जगदीशपुर सीट के लिए टिकट दिया गया है। डॉ. उषा विद्यार्थी को पालीगंज से और राजेंद्र सिंह को दिनारा से जबकि डॉ. रविंद्र यादव को झाझा से प्रत्याशी बनाया गया है। 

एलजेपी संस्थापक और चिराग पासवान के पिता और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान बीमार होने के कारण काफी समय से अस्पताल में भर्ती हैं। इसलिए चिराग पासवान को अक्सर अस्पताल जाना पड़ता है। राम विलास पासवान केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री हैं। एलजेपी पहले से ही कहती आ रही है कि उसने प्रदेश की 143 सीटों के लिए तैयारी की है, जहां वह उम्मीदवार उतारेगी।

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 10 नवंबर होगी। पहले चरण में 28 नवंबर को 71 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 सीटों के लिए और आखिरी चरण में सात नवंबर को 78 सीटों के लिए मतदान होगा।

पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है। एलजेपी ने पहले चरण के अपने प्रत्याशियों की सूची नामांकन भरने के आखिरी तारीख को जारी की।

 

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info@indiamirror.net (Super User) Election Sat, 10 Oct 2020 23:39:50 +0000