IndiaMirror Hindi https://hindimirror.net Thu, 02 May 2024 21:26:06 +0000 Joomla! - Open Source Content Management en-gb अमेरिका: मंदिर निर्माण के लिए दलितों से बंधुआ मज़दूरी कराने और मानव तस्करी का आरोप https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/168-2021-05-14-11-46-02.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/168-2021-05-14-11-46-02.html

अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थित स्वामी नारायण मंदिर का मामला. भारतीय श्रमिकों के एक समूह ने आरोप लगाया कि उन्हें बंधक बनाकर रखा गया और मंदिर निर्माण के लिए प्रति घंटा क़रीब एक डॉलर पर काम करने के लिए मजबूर किया गया. हालांकि मंदिर प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है.

न्यूयॉर्क: अमेरिका में भारतीय श्रमिकों के एक समूह ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के खिलाफ एक जिला अदालत में मुकदमा दर्ज कराके उस पर न्यूजर्सी में एक विशाल हिंदू मंदिर के निर्माण के दौरान मानव तस्करी करने और न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

श्रमिकों ने आरोप लगाया कि उन्हें बंद करके रखा गया और न्यूजर्सी में स्वामीनारायण मंदिर बनाने के लिए प्रतिघंटा करीब एक डॉलर पर काम करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि अमेरिका में न्यूनतम वेतन 7.25 डॉलर प्रति घंटा तय किया गया है.

द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (एनवाईटी) में छपी खबर में बताया गया कि मंगलवार को दर्ज कराई गई शिकायत में छह लोगों के नाम का जिक्र है, जो धार्मिक ‘आर-1 वीजा’ पर 2018 से अमेरिका में लाने शुरू किए गए 200 से अधिक भारतीय नागरिकों में शामिल हैं.

खबर में बताया गया कि इन लोगों से ‘न्यूजर्सी निर्माण स्थल पर अकसर खतरनाक परिस्थितियों में कई घंटे’ काम कराया जाता था.

यहां काम कर रहे श्रमिकों वकीलों ने मंगलवार को दायर एक मुकदमे में कहा कि बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था, एक हिंदू संप्रदाय है, जिसे बीएपीए के नाम से भी जाना जाता है. इस संस्था का भारत के सत्तारूढ़ दल से घनिष्ठ संबंध है. इसने दुनिया भर में मंदिरों का निर्माण किया है और संभवत: वर्षों की निर्माण परियोजना के दौरान सैकड़ों निम्न-जाति के पुरुषों का शोषण किया गया था.

मुकदमे में कहा गया है कि पुरुषों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे और कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था, जहां उन्हें आगंतुकों और धार्मिक स्वयंसेवकों से बात करने की अनुमति नहीं थी. इसे के अनुसार, उन्हें खाने के तौर पर दाल और आलू दिया जाता था और छोटी सी गलती जैसे कि बिना हेलमेट के नजर आने पर उनका वेतन काट दिया जाता था.

शिकायत के मुताबिक, उन्हें धार्मिक वीजा पर या आर-1 वीजा (R-1) पर अमेरिका लाया गया था. आर-1 वीजा एक अस्थायी वीजा होता है, जिसका इस्तेमाल धर्मगुरुओं और मिशनरियों जैसे धार्मिक कार्यकर्ताओं के लिए होता है.

शिकायत में कहा गया है कि श्रमिकों को अक्सर अंग्रेजी में कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाता था और अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि वे नक्कशी करने वाले या चित्रकार हैं.

श्रमिकों के वकीलों ने कहा कि उनसे साइट पर दिन में लगभग 13 घंटे काम कराया जाता था. इस दौरान बड़े पत्थरों को उठाना, क्रेन और अन्य भारी मशीनरी का संचालन करना, सड़कों और सीवरों का निर्माण करना, खाई खोदना और जमी बर्फ हटाने जैसे काम दिए जाते थे.

इसके लिए उन्हें 450 डॉलर प्रति माह दिया जाता था. शिकायत में कहा गया है कि उन्हें सिर्फ 50 डॉलर का नकद भुगतान किया जाता था और रकम भारत में उनके खातों में जमा करा दिया जाता था.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक रिकॉर्ड बताते हैं कि न्यूजर्सी स्थित इस मंदिर के निर्माण में लाखों डॉलर खर्च हुए हैं. इस मंदिर का शुभारंभ 2014 में हो गया था, लेकिन अभी भी निर्माणाधीन है, क्योंकि बीएपीए अमेरिका के सबसे बड़े हिंदू मंदिर के निर्माण के अपने उद्देश्य को पूरा करने की कोशिश में है.

प्रिंसटन के पास स्थित यह मंदिर पूरे क्षेत्र के अनुयायियों को आकर्षित करता है. लगभग 400,000 भारतीय मूल के निवासियों के साथ न्यूजर्सी में अमेरिका की सबसे बड़ी भारतीय अप्रवासी आबादी रहती है.

रिपोर्ट के अनुसार, स्वामीनारायण संस्था का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा के साथ मजबूत संबंध हैं. साल 2016 में अमेरिका में बीएपीएस को सबसे बड़ा हिंदू संप्रदाय बनाने वाले धार्मिक गुरु प्रमुख स्वामी महाराज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि वह उनके गुरु थे. प्रमुख स्वामी महाराज का साल 2016 में निधन हो गया था.

नरेंद्र मोदी ने उनके अंतिम संस्कार के दौरान एक भाषण दिया था और अबू धाबी में बीएपीएस के मंदिर की आधारशिला भी रखी थी. संगठन ने भी मोदी के चुनावी वादों में से सबसे महत्वपूर्ण अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद का वादा किया गया था.

‘इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल’ (आईसीडब्ल्यूआई) ने कहा कि 11 मई को एफबीआई (संघीय जांच ब्यूरो) की छापेमारी में करीब 200 श्रमिकों को न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में स्वामीनारायण मंदिर के परिसर से बचाया गया, जिनमें से ‘अधिकतर दलित, बहुजन और आदिवासी हैं’. यह मंदिर अमेरिका का सबसे बड़ा मंदिर बताया जाता है.

एनवाईटी ने बताया कि तीन संघीय एजेंसियां- एफबीआई, गृह सुरक्षा मंत्रालय और श्रम मंत्रालय, मंगलवार सुबह की गई कार्रवाई में शामिल थीं और बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई श्रमिक एवं आव्रजन कानून उल्लंघनों के आरोपों से जुड़ी है.

आईसीडब्ल्यूआई ने बताया कि न्यूजर्सी स्थित अमेरिका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई कि बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था रोबिन्सविले एलएलसी और बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था फेलोशिप सर्विसेस ने श्रमिकों को डराया-धमकाया, उन्हें बंद करके रखा और उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया.

शिकायत में ‘बंधुआ मजदूरी, बंधुआ मजदूरी के लिए तस्करी, श्रमिकों के दस्तावेज अपने पास रखने, षड्यंत्र रचने और विदेशी श्रम अनुबंध में धोखाधड़ी करने के इरादे से आव्रजन दस्तावेजों को जब्त करने’ तथा न्यूनतम वेतन का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया गया है.

बीएपीएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कनू पटेल ने एनवाईटी से कहा, ‘मैं वेतन संबंधी आरोपों को पूरे सम्मान के साथ खारिज करता हूं.’

उन्होंने कहा कि वह स्थल पर दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रभारी नहीं थे.

बीएपीएस के प्रवक्ता लेनिन जोशी ने भी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘हम इस प्रकार की घटनाओं से पूरी तरह हिल गए हैं और हमें भरोसा है कि पूरी जानकारी सामने आने के बाद हम जवाब दे पाएंगे और यह बता पाएंगे कि ये आरोप बिना किसी आधार के लगाए गए.’

‘दलित सॉलीडैरिटी फोरम’ के अध्यक्ष एवं आईसीडब्ल्यूआई के कार्यकारी समिति सदस्य डॉ. रोजा सुगंती सिंह ने कहा, ‘बंधुआ मजदूरी भारत में जाति प्रणाली का हिस्सा रही है. यह मामला दर्शाता है कि बंधुआ मजदूरी अब अमेरिका भी पहुंच गई है, जिसका शिकार दलित, बहुजन और आदिवासी हुए हैं.’

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info@indiamirror.net (Super User) International Fri, 14 May 2021 11:44:32 +0000
नेपाल में सियासी उथलपुथल जारी, ओली फिर बने प्रधानमंत्री, विपक्ष नहीं साबित कर पाया बहुमत https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/166-2021-05-14-11-40-09.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/166-2021-05-14-11-40-09.html

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने 10 मई को ओली सरकार के संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाने के बाद विपक्षी दलों को गुरुवार तक नई सरकार का गठन करने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन आज नेपाली संसद में हुई वोटिंग में विपक्ष बहुमत साबित नहीं कर पाया।

नेपाल में जारी सियासी संकट के बीच संसद में विश्वास मत हारने के बावजूद केपी शर्मा ओली एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। जानकारी के मुताबिक गुरुवार को विपक्ष संसद में बहुमत हासिल करने में असफल रहा, जिसकी वजह से ओली को एक बार फिर देश की प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया।

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ने 10 मई को ओली सरकार के संसद में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाने के बाद विपक्षी दलों को आमंत्रित करते हुए गुरुवार तक नई सरकार का गठन करने के लिए कहा था। राष्ट्रपति के निर्देशों के अनुसार गुरुवार को नेपाली संसद में हुई वोटिंग में विपक्ष बहुमत साबित नहीं कर पाया। ऐसी स्थिति में ओली को एक बार फिर देश की बाग़डोर सौंप दी गई।

 

वहीं दूसरी ओर विश्वास मत में जाने से पहले ओली को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी बहुमत हासिल कर लेगी। बीते सोमवार को राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी के निर्देश पर नेपाली संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले, जबकि 124 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट दिया था।

बता दें कि नेपाल में सियासी उथल-पुथल के चलते ओली की सत्ता पर ग्रहण आ गया। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में खींचतान के बाद पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई। जिसके बाद ओली द्वारा आश्चर्यजनक रूप से दिसंबर में संसद को भंग करने की अनुशंसा कर दी गई, जिससे देश एक बार फिर राजनीतिक संकट में चला गया और पार्टी टूट गई। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने की अनुशंसा को पलट दिया।

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दुनिया की 5 बड़ी खबरें: इजरायल ने गाजा पट्टी में तबाह किये कई ठिकाने और अमेरिका में गोलीबारी की घटना में 8 लोगों की मौत https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/146-5-8.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/146-5-8.html

इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में फिलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा यहूदी राज्य के क्षेत्र में एक रॉकेट दागे जाने के बाद कई ठिकानों को निशाना बनाया। अमेरिका के इंडियानापोलिस शहर में एक फेडेक्स फैसलिटी में हुई गोलीबारी की घटना के दौरान कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई।

पहली तिमाही : चीनी जीडीपी की वृद्धि दर 18.3 प्रतिशत

चीन ने हाल में साल 2021 की पहली तिमाही में राष्ट्रीय आर्थिक संचालन के संबंधित आंकड़े जारी किए, जिससे पता चला है कि पहले तीन महीनों में चीनी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तुलनीय कीमतों पर गतवर्ष की समान अवधि से 18.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, पहली तिमाही में जीडीपी 249 खरब 31 अरब युआन थी, जो तुलनीय कीमतों पर गत वर्ष की पहली तिमाही से 18.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और 2020 की चौथी तिमाही की तुलना में 0.6 प्रतिशत ज्यादा है। साथ ही, 2019 की पहली तिमाही की तुलना में 10.3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। दो सालों में औसतन वृद्धि दर 5 प्रतिशत है। इससे जाहिर है कि चीनी अर्थव्यवस्था स्थिर रूप से बहाल हो रही है।

वहीं, आंकड़े बताते हैं कि पहली तिमाही में चीनी मालों के आयात-निर्यात की कुल रकम 84 खरब 68अरब 70 करोड़ युआन रही, जो गतवर्ष की समान अवधि की तुलना में 29.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ। चीन की निर्यात रकम 46 खरब 14 अरब युआन और निर्यात की रकम 38 खरब 54 अरब 70 करोड़ युआन थी, दोनों की वृद्धि दर गतवर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश: 38.7 प्रतिशत और 19.3 प्रतिशत रही। चीन का व्यापार अधिशेष 7 खरब 59 अरब 30 करोड़ युआन था।

 
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इजरायल ने रॉकेट हमले के बाद गाजा पट्टी में तबाह किये कई ठिकाने

फोटो: IANS
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इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में फिलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा यहूदी राज्य के क्षेत्र में एक रॉकेट दागे जाने के बाद कई ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल डिफेंस फोर्सेस (आईडीएफ) ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि फाइटर जेट और हेलिकॉप्टरों से हमास के हथियार बनाने वाली जगह और हथियारों की तस्करी करने वाले सुरंग को नष्ट कर दिया।

डीपीए समाचार एजेंसी के अनुसार आईडीए ने कहा, हम इजरायली नागरिकों के लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

गाजा पट्टी में नुकसानों की तत्काल कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। इजरायल के स्वतंत्रता दिवस के बाद गाजा से रॉकेट दागे गए थे।

 

यूएस फेडेक्स फैसिलिटी में शूटिंग के दौरान हुई 8 लोगों की मौत

फोटो: IANS
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अमेरिका के इंडियानापोलिस शहर में एक फेडेक्स फैसलिटी में हुई गोलीबारी की घटना के दौरान कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि, इसमें कई अन्य लोग भी शामिल थे, जो चोटिल हुए हैं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक पत्रिका के हवाले से बताया कि, घायल लोगों में से कम से कम एक व्यक्ति शुक्रवार दोपहर 3 बजे (स्थानीय समय) गंभीर स्थिति में रहा।

बाकी लोगों को भी उनकी चोट के इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल हुए लोगों में से कोई भी कानून प्रवर्तन अधिकारी नहीं था।

म्यांमार को लेकर 24 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा आसियान शिखर सम्मेलन

फोटो: IANS
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दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के नेता 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार में राजनीतिक संकट पर चर्चा करने के लिए इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एक बैठक कर सकते हैं। शुक्रवार को एक आधिकारिक सूत्र ने इसकी जानकारी दी है। डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों पर सेना द्वारा किए गए हमले में सैकड़ों लोगों की जानें गई थीं, जिसके बाद इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पिछले महीने 10 सदस्यीय आसियान ब्लॉक के शिखर सम्मेलन का आह्वान किया था।

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के एक करीबी सूत्र ने बताया कि शिखर सम्मेलन 24 अप्रैल को जकार्ता में आयोजित किया जाना है।

 

किम जोंग-उन अपने दादा की सालगिरह मनाने मउसोलियम पहुंचे

फोटो: IANS
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उत्तर कोरिया के लीडर किम जोंग उन अपने दिवंगत दादा और देश के संस्थापक किम इल-संग की सालगिरह के अवसर पर मउसोलियम पहुंचे। स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। पयोंगयांग की रिपोर्ट में कोरियन सेन्ट्रल न्यूज एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि, गुरुवार को किम जोंग-उन और उनकी पत्नी री सोल-जू, किम इल-संग की 109वीं सालगिरह मनाने के लिए कुमसुसन पैलेस पहुंचे थे।

योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मउसोलियम में किम के दादा और पिता किम जोंग-इल ली के शव को रखा गया था।

केसीएनए ने कहा, किम जोंग-उन ने अपनी पत्नी के साथ किम इल-संग और किम जोंग-इल की मूर्ती को श्रद्धांजलि दी और हॉल में राष्ट्रपति और चेयरमैन ली को ताउम्र अमर होने की शुभकामनाएं दी।

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info@indiamirror.net (Super User) International Fri, 16 Apr 2021 20:41:25 +0000
भारत की इजाज़त के बिना अमेरिकी नौसेना ने भारतीय जलक्षेत्र में किया नौपरिवहन अभियान https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/133-2021-04-09-16-46-11.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/133-2021-04-09-16-46-11.html

अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू किया. अमेरिका ने कहा है कि उन्होंने भारत की ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देने के लिए ऐसा किया है. नियमानुसार, भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिए पूर्वानुमति लेनी होती है.

नई दिल्ली: अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारत की पूर्वानुमति के बिना बीते बुधवार को लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू कर दिया. अमेरिका ने कहा है कि उन्होंने भारत की ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देने के लिए ऐसा किया है.

हैरानी की बात ये है कि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके जहाज भारत के जलीय क्षेत्र में बिना इजाजत के घुसे हैं.

अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मिसाइल नाशक यूएसएस जॉन पॉल जोन्स के जरिये सात अप्रैल को यह अभियान शुरू किया गया.

बयान में कहा गया है, ‘सात अप्रैल, 2021 को यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (डीडीजी 53) ने भारत की अनुमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र लक्षद्वीप द्वीपसमूह के पश्चिम से लगभग 130 समुद्री मील दूर नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान शुरू किया.’

भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) या उपमहाद्वीपीय इलाके में सैन्य अभ्यास या अभियान के लिये उससे पूर्वानुमति लेनी होती है. बयान में दावा किया गया है कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप शुरू किया गया है.

बयान के अनुसार इस नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान ने भारत के ‘अत्यधिक समुद्री दावों’ को चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अधिकारों की स्वतंत्रता और समुद्र के विधि सम्मत उपयोग को बरकरार रखा है.

बयान के अनुसार, अमेरिकी बल भारत-प्रशांत क्षेत्र में दैनिक अधार पर गतिविधियां करते हैं. सभी अभियानों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अंजाम दिया जाता है. साथ ही यह स्पष्ट किया जाता है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार जहां चाहें वहां हवाई, समुद्री और अन्य गतिविधियों को अंजाम दे सकता है.

बयान में कहा गया है, ‘हम नियमित रूप से नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान का आयोजन करते हैं. हम अतीत में भी ऐसा कर चुके हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे. नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान केवल एक देश के लिए नहीं होते.’

इस संबंध में भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही इस बात की जानकारी दी गई है कि क्या भारतीय सेना में अमेरिकी जहाजों को चुनौती दी थी या नहीं.

जब भारत ने वर्ष 1995 में यूएन कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ सी (यूएनसीएलओएस) को मंजूरी प्रदान की थी, तो उसने घोषणा की थी कि कन्वेंशन के प्रावधान अन्य देशों को विशेष आर्थिक क्षेत्र या उपमहाद्वीपीय इलाके में तटीय देश की मंजूरी के बिना सैन्य अभ्यास या अभियान के लिए मंजूरी प्रदान नहीं करते हैं.

खास बात ये है कि अमेरिका ने अभी तक यूएनसीएलओएस को समर्थन या मंजूरी प्रदान नहीं की है. इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 58(आई) को लेकर विवाद है, जिसमें अमेरिका जैसे समुद्री देशों का मानना है कि इसके तहत वे विशेष आर्थिक क्षेत्र में भी नौपरिवहन कर सकते हैं.

द वायर ने अमेरिका के रक्षा विभाग की वार्षिक रिपोर्टों का विश्लेषण किया और ये जानना चाहा कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका ने कितने नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान किए हैं.

पिछले महीने प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी नेवी ने अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 के बीच भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में एक भी नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान नहीं किया है.

हालांकि 2019 के वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है भारत में एक नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान किया गया था. साल 2018 को छोड़कर 2011 से 2017 तक की सभी रिपोर्टों के अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका नौसेना ने बिना किसी मंजूरी के भारतीय के क्षेत्र में नौपरिवहन अभियान किया है.

भारत के पूर्व नौसेना अध्यक्ष अरुण प्रकाश ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ भारत ने समुद्र से जुड़े संयुक्त राष्ट्र कानून को मंजूरी प्रदान की है, वहीं अमेरिका अभी तक ऐसा नहीं कर पाया है.

https://twitter.com/arunp2810/status/1380409310442790913

 

उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट के कमांडर द्वारा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान चलाना हमारे घरेलू कानून का गंभीर उल्लंघन है.’

प्रकाश ने सवाल उठाया कि यदि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका द्वारा नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान करके चीन को आंख दिखाना है तो ‘सातवीं फ्लीट कमांडर का भारत के लिए क्या संदेश है.’

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने हमेशा भारत को अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के लिए आधारशिला मानता है.

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info@indiamirror.net (Super User) International Fri, 09 Apr 2021 16:42:34 +0000
दुनिया की 5 बड़ी खबरें: ब्रिटेन में हुई अरबों रुपये के Bitcoin की ठगी और तालिबान हमले में 9 अफगान पुलिसकर्मी की मौत https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/123-5-bitcoin-9.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/123-5-bitcoin-9.html

दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के नाम पर धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है जिसमें ब्रिटेन के एक शख्स ने लोगों को ट्रेडिंग का झांसा देकर 20,000 बिटकॉइन ले लिए और अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में शनिवार को एक सुरक्षा चौकी पर हमले में कम से कम नौ पुलिसकर्मी मारे गए।

ब्रिटेन में झांसा देकर अरबों रुपये के Bitcoin की ठगी:

दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के नाम पर धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है जिसमें ब्रिटेन के एक शख्स ने लोगों को ट्रेडिंग का झांसा देकर 20,000 बिटकॉइन ले लिए। इस शख्स पर 57.1 करोड़ डॉलर (41.36 अरब रुपये) का जुर्माना लगाया गया है। ये जुर्माना अमेरिकी एजेंसी कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (सीएफटीसी) ने लगाया है। सीएफटीसी ने बताया कि इंग्लैंड के मैनचेस्टर के रहने वाले बेंजामिन रेनाल्ड्स ने मई 2017 से अक्टूबर 2017 के बीच ग्राहकों को झांसा दिया कि वह बिटकॉइन को वर्चुअल करेंसी मार्केट में बेचकर मुनाफा कमाएगा और उन्हें भी मालामाल करेगा। रेनाल्ड्स ने लालच देकर क्लाइंट से बिटकॉइन तो ले लिए लेकिन उससे कोई ट्रेडिंग नहीं की और न ही ग्राहकों को कोई मुनाफा दिया। इस दौरान उसने 170 ग्राहकों को झांसे में फंसाकर 14.3 करोड़ डॉलर (10.35 अरब रुपये) रकम की बिटकॉइन जमा कर ली।

 
फोटो: सोशल मीडिया

'US सैनिक हटे तो पूरे अफगानिस्तान पर होगा तालिबान का कब्जा':

अमेरिकी समाचार एजेंसियों ने शुक्रवार को एक समाचार रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने बाइडन प्रशासन से कहा है कि अगर अमेरिका तालिबान से अपने सैनिक हटा लेता है तो उसके दो तीन साल के भीतर ही तालिबान पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेगा।न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि इस तरह के अधिग्रहण से अल कायदा को अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण की अनुमति मिल जाएगी।बता दें कि फरवरी 2020 में ट्रंप प्रशास ने एक समझौता किया था जिसमें 1 मई को अफगानिस्तान से कुछ अमेरिकी सैनिकों को हटाने की बात कही गई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया

म्यांमार में तख्तापलट के बावजूद सेना ने सशस्त्र बल दिवस मनाया:

म्यांमार की सेना ने शनिवार को तख्तापलट के खिलाफ जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बावजूद परेड और भाषणों के साथ सशस्त्र सेना दिवस मनाया। जिसमें अब तक 300 से अधिक लोगों के जीवन का दावा किया गया है। डीपीए न्यूज एजेंसी ने ने म्यांमार नाउ और अन्य मीडिया आउटलेट्स के हवाले से बताया, देश भर में छापे के बाद शनिवार को मरने वालों की संख्या में 40 की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सेना शनिवार को विरोध-मुक्त दिन की उम्मीद कर रही थी। पीड़ितों में हंथरवाडी यूनाइटेड अंडर -21 टीम के 21 वर्षीय टीम के कप्प्तान चिट बो नाइन थे, जिन्हें यांगून में शनिवार सुबह सेना के सशस्त्र बलों ने गोली मार दी थी, जब वह इंसने में अपने परिवार की चाय की दुकान मदद कर रहे थे। इसकी जानकारी बस्ती, पड़ोसियों ने डी.पी.ए।को दी।

फोटो: IANS
फोटो: IANS

तालिबान के हमले में 9 अफगान पुलिसकर्मी की मौत:

अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में शनिवार को एक सुरक्षा चौकी पर हमले में कम से कम नौ पुलिसकर्मी मारे गए। एक सुरक्षा अधिकारी ने यह जानकारी दी। सामचार एजेंसी डीपीए को अधिकारी ने बताया कि विद्रोहियों ने नाहर-ए-सराज जिले में कंधार-हेरात राजमार्ग पर स्थित चौकी पर हमले को अंजाम दिया। हालांकि, प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता मोहम्मद जमान हमदर्द ने संवाददाताओं को बताया कि झड़पों के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी सहित केवल तीन पुलिसकर्मी मारे गए हैं और दो अन्य घायल हो गए। तालिबान के प्रवक्ता कारी यूसुफ अहमदी ने एक बयान में कहा, "दो घुसपैठिए मुजाहिदीन' ने हमला किया, चौकी पर सभी हथियार और उपकरण जब्त कर लिए गए हैं।

फोटो: IANS

दक्षिणी अमेरिका में तूफान और बवंडर से 6 की मौत:

अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में आए तेज बवंडर और तूफान के बाद कम से कम छह लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार शाम को तूफान के कारण अलहमा के काल्होन काउंटी में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। यूटिलिटी ट्रैकर पावरआउटेज डॉट यूएस के अनुसार, अल्बामा और जॉर्जिया में शुक्रवार सुबह लगभग 38,000 घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठनों की बिजली प्रभावित हुई है। शुक्रवार तड़के पश्चिमी जॉर्जिया के न्यूनान शहर में भी एक बवंडर आया। मौसम सेवा ने कहा कि आधी रात के बाद से बवंडर ने व्यापक तबाही मचाई।

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info@indiamirror.net (Super User) International Sat, 27 Mar 2021 20:20:59 +0000
म्यांमार में खूंखार हुई सेना, एक दिन में 91 लोगों को मौत के घाट उतारा, विरोध करना बना गुनाह https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/122-91.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/122-91.html

म्यांमार में इस साल फरवरी में सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद से प्रदर्शन कर रहे लोगों का वहां लगातार दमन जारी है। ‘ऑर्म्ड फोर्सेस डे’ के मौके पर शनिवार को विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सेना ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 91 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

म्यांमार में इस साल फरवरी में लोकतांत्रिक सरकार के तख्तापलट के बाद से वहां सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का दमन लगातार जारी है। लेकिन शनिवार को म्यांमार की सेना क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए अकेले एक दिन में 91 91 प्रदर्शनकारियों को गोलियों से भून डाला। देश में तख्तापलट के बाद से जारी दमन की यह अब तक की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है।

म्यांमार में शनिवार को 'ऑर्म्ड फोर्सेस डे' मनाया जा रहा था। इस दौरान तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने यंगून, मांडले समेत अन्य कई कस्बों में शांतिपूर्वक रैली निकाली। लेकिन इसी बीच सेना ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी। स्थानीय मीडिया के अनुसार शाम तक सेना की कार्रवाई में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 91 तक पहुंच गई। इससे पहले 14 मार्च को सेना की कार्रवाई में 74 से 90 प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

राजधानी यंगून में एक निगरानीकर्ता द्वारा शनिवार शाम को जारी मृतकों के आंकड़ों के मुताबिक देश के दो दर्जन से अधिक शहरों में हो रहे प्रदर्शन पर सैन्य कार्रवाई में शाम होने तक 89 लोगों की मौत हो चुकी है। देर रात ततक मृतकों की संख्या में भारी इजाफा होने की संभावना है। मरने वाले ज्यादातर लोगों की मौत गोल लगने से हुई। ये सारी मौतें अलग-अलग शहरों में हुई हैं।

बता दें कि म्यांमार में फरवरी में सेना ने तख्ता पलट किया था और सत्ता पर नियंत्रण कर लिया था। सैन्य तख्तापलट के बाद से देश भर में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी देश की निर्वाचित सरकार को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पर सेना की कार्रवाई में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।

हालांकि, इतनी बड़ी दमनात्मक कार्रवाई के बाद भी सेना लहजा नहीं बदला है और उसने चेतावनी दी है कि प्रदर्शन में शामिल लोगों को बीते दिनों हुई मौतों से सबक लेना चाहिए। उन्हें भी कभी भी गोली लग सकती है। सैन्य सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे नागरिक समूहों के एक प्रवक्ता ने कहा कि सेना के लिए आज 'ऑर्म्ड फोर्सेस डे' एक शर्मनाक दिन है। सेना के अधिकारी सैकड़ों लोगों की हत्या कर के भी जश्न मना रहे हैं।

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info@indiamirror.net (Super User) International Sat, 27 Mar 2021 20:19:27 +0000
भारत के खिलाफ ड्रैगन की बड़ी तैयारी, 'उत्तरी बॉर्डर पर चीन ने जुटा लिए हैं 60 हजार सैनिक' https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/117-60.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/117-60.html

चीन एलएसी पर भारत के खिलाफ लगातार अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए नए नए पैंतरे अपना रहा है। यहीं वजह है कि लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीनों भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है।

चीन एलएसी पर भारत के खिलाफ लगातार अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए नए नए पैंतरे अपना रहा है। यहीं वजह है कि लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले पांच महीनों भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। पिछले महीनों में चीन कई बार एलएसी पर आक्रम होकर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की है। खबरों के मुताबिक चीनी सेना ने कई क्षेत्रों पर अवैध तरीके से कब्जा कर वहां से पीछे हटने से भी इनकार कर दिया है। इसी बीच अमेरिकी विदेश मंत्री ने जो कहा है वो भारत के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है।

अब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चेतावनी दी है कि भारत को उत्तरी सीमा के पास चीन ने 60 हजार जवान जुटा लिए हैं, जिनका भारत को सामना करना है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन पर हमला बोलते हुए कहा कि चीन के गलत व्यवहार से क्वाड में शामिल देशों के लिए खतरा पैदा कर रहा है। एक टीवी इंटरव्यू में पोम्पियो ने कहा- “मैं कुछ ही समय पहले भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्ष मंत्रियों के साथ बैठक- जिसे हम क्वाड कहते हैं में हिस्सा ले रहा था। यह चार बड़े लोकतंत्रों और अर्थव्यवस्थाओं से बना समूह है। इन सभी देशों पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टियों की ओर पैदा किए गए खतरों का जोखिम भी है। इन सभी देशों को यह मालूम है।” 

अमेरिकी विदेश मंत्री ने आगे कहा, “क्वाड के साथी देशों को मालूम है कि वे इस (चीन के) मुद्दे पर काफी समय तक निष्क्रिय थे। दशकों तक पश्चिमी देशों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को मौके देना जारी रखा। पिछले प्रशासन ने खुद को झुका लिया था और चीन को हमारी बौद्धिक संपदा और करोड़ों नौकरियां चुराने का मौका दिया था। यह क्वाड देशों ने अपने यहां भी देखा है।”

 

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info@indiamirror.net (Super User) International Sun, 11 Oct 2020 23:29:02 +0000
दुनिया की 5 बड़ी खबरें: ईरान और फिलीपींस के विदेश मंत्रियों से मिले चीनी मंत्री, कैलिफोर्निया में 21 जगह भयंकर आग की लपटें https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/115-5-21.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/115-5-21.html

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 10 अक्तूबर को चीन के युन्नान प्रांत में फिलीपींस के विदेश मंत्री टेओडोरो लोकसिन और इरान के ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ के साथ मुलाकात की। कैलिफोर्निया के चारों ओर जंगलों में लगी 21 भयंकर आग लगी है।

चीन और फिलीपींस के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 10 अक्तूबर को चीन के युन्नान प्रांत में फिलीपींस के विदेश मंत्री टेओडोरो लोकसिन के साथ मुलाकात की। वांग यी ने कहा कि चीन और फिलीपींस पड़ोसी देश हैं। चाहे अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में कैसा भी परिवर्तन क्यों न हो जाए, चीन और फिलीपींस अवश्य अच्छे दोस्त बने रहेंगे, क्योंकि यह दोनों देशों के लोगों के मूल हित और समान इच्छा के अनुरूप है। विश्वास है कि चीन-फिलीपींस परंपरागत मित्रता महामारी की समान रोकथाम में अवश्य मजबूत होगी।

वांग यी ने यह भी कहा कि चीन महामारी की रोकथाम में लगातार फिलीपींस का समर्थन करता रहेगा और फिलीपींस की मांग के अनुसार जरूरी चिकित्सा सामग्रियां प्रदान करेगा, रोकथाम के अनुभव और उपचार के प्रस्ताव साझा करेगा। चीन फिलीपींस के साथ टीका विकसित करने में भी सहयोग करेगा।

चीन और ईरान के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात


चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 10 अक्तूबर को चीन के युन्नान प्रांत में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ के साथ मुलाकात की। वांग यी ने कहा कि अब दुनिया में बड़ा परिवर्तन हो रहा है और नए खतरे व नई चुनौतियां पैदा हुई हैं। अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बहुपक्षवाद पर कायम रहने की अति आवश्यकता है। इसके साथ निष्पक्षता और न्याय की रक्षा करने के साथ खुलेपन व सहयोग को भी बढ़ाना चाहिए। चीन और ईरान चतुमुर्खी रणनीतिक साझेदार हैं। चीन ईरान के साथ संपर्क मजबूत कर महामारी की रोकथाम समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहता है। चीन सभी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्षता और विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना चाहता है।

वांग यी ने कहा कि चीन ईरान के नाभिकीय मुद्दे से जुड़े चतुमुर्खी समझौते की प्रतिष्ठा और कारगरता की रक्षा में जुटा हुआ है। विभिन्न पक्षों की चिंता के मद्देनजर चीन का सुझाव है कि चतुमुर्खी समझौते को बनाए रखने की पूर्वशर्त पर क्षेत्रीय बहुपक्षीय वार्ता मंच स्थापित किया जाएगा। विभिन्न पक्ष वार्ता के जरिए आपसी समझ बढ़ाएंगे और समस्या के राजनीतिक समाधान पर चर्चा करेंगे।

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info@indiamirror.net (Super User) International Sun, 11 Oct 2020 23:18:02 +0000
टर्की में राष्ट्रपति एर्दवान की पत्नी एमीन एर्दवान से मिले आमिर खान, उठे सवाल https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/72-2020-08-18-13-02-44.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/72-2020-08-18-13-02-44.html

नई दिल्ली। फिल्म अभिनेता आमिर खान एक बार फिर चर्चा में हैं। आमिर खान इस बार टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान की पत्नी एमीन एर्दवान से मुलाकात को लेकर चर्चा में आये है।

आमिर खान की इस मुलाकात को लेकर कई लोगों ने सवाल उठाये हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान भारत विरोधी हैं और वे पाकिस्तान का समर्थन करते हैं।वहीँ यह भी कहा जा रहा है कि टर्की कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाला देश है। ऐसे में खुद को सेकुलर कहने वाले आमिर खान को वहां जाने की क्या ज़रूरत पड़ गई।

दरअसल आमिर खान अपनी आने वाली नई फिल्म लाल सिंह चड्डा का कुछ हिस्सा टर्की में शूट कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान आमिर खान टर्की के राष्ट्रपति एर्दवान की पत्नी एमीन एर्दवान से मुलाकात करने पहुंचे थे।

I had the great pleasure of meeting @aamir_khan, the world-renowned Indian actor, filmmaker, and director, in Istanbul. I was happy to learn that Aamir decided to wrap up the shooting of his latest movie ‘Laal Singh Chaddha’ in different parts of Turkey. I look forward to it!

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भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा है कि जनता कभी सहन नहीं करेगी उन्हें जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा। मनोज तिवारी ने कहा, मेरी आमिर खान से कोई बात नहीं हो पाई है, लेकिन बस इतना कहना चाहूंगा कि देश के किसी भी सेलिब्रिटी को अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए कि उनके फैंस को तकलीफ न हो। अब जिस तरीके से फैंस के बीच आमिर खान ट्रोल हो रहे हैं, इससे उनके फैन फॉलोइंग पर जरूर असर होगा।

बीजेपी सांसद ने कहा, आमिर खान की जो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि किसी भी सेलिब्रिटी को उतना ही सतर्क रहना चाहिए, जितना इस देश के किसी भी जिम्मेदार नागरिक को। तुर्की ने धारा 370 हटाये जाने के खिलाफ बयान दिया था।

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info@indiamirror.net (Super User) International Tue, 18 Aug 2020 12:58:05 +0000
4,600 आतं‍कियों को छोड़े जाने के बाद पलट गया तालिबान, कहा- नहीं देते अफगान सरकार को मान्यता https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/67-4-600.html https://hindimirror.net/index.php/en/component/k2/item/67-4-600.html

काबुल, एजेंसियां। गृह युद्ध से तबाह अफगानिस्तान में शांति वार्ता को बड़ा झटका लगा है। अमन बहाली के लिए सरकार ने कुल 4,600 आतंकी छोड़े, फिर भी तालिबान पलट गया।

उसने अशरफ गनी सरकार को ही मानने से इन्कार कर दिया है। तालिबान ने कहा-हम इस सरकार को वैध नहीं मानते, न मान्यता देते हैं। अमन बहाली की कोई भी कोशिश तभी शुरू हो पाएगी, जब देश में इस्लामिक सरकार पर बातचीत हो।

शांति वार्ता तभी, जब देश में इस्लामिक सरकार पर चर्चा हो

 सरकार का कहना है कि तालिबान ने हमारा वक्त बर्बाद किया और अब बहाने बना रहा है। शांति वार्ता इसी हफ्ते कतर की राजधानी दोहा में होनी है। एक साक्षात्कार में तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, 'तालिबान अफगान युद्ध का विजेता है। हम अफगान सरकार को नहीं मानते। यह अमेरिका के इशारे पर और उसके विस्तार के लिए काम करता है। तालिबान सभी अफगान गुटों से बात करेगा, केवल सरकार के साथ नहीं।'

सरकार ने कहा-आतंकी संगठन ने हमारा वक्त बर्बाद किया

तालिबान के इस बयान पर राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, 'तालिबान ने हमारा वक्त बर्बाद किया और अब बेतुके बहाने बना रहा है। सरकार ने तालिबानी आतंकियों की रिहाई का वादा पूरा किया। जब तालिबान की बारी आई तो मुकर गया।' तालिबानी कैदियों की रिहाई के लिए अशरफ गनी सरकार ने नौ अगस्त को अफगान समुदायों के 3200 नेताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक में बनी सहमति के बाद ही बाकी बचे 400 आतंकियों की रिहाई हुई थी।

तालिबान के 21 आतंकी ढेर 

अफगान सुरक्षाबलों ने दो प्रांतों में तालिबान के कुल 21 आतंकी मार गिराए। सेना के मुताबिक बादगीस प्रांत के कादिस जिले में आतंकियों पर हवाई हमले भी किए गए। यहां 12 आतंकी ढेर हुए। गजनी प्रांत में तालिबान के ठिकानों पर की गई कार्रवाई में नौ आतंकी मारे गए।

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info@indiamirror.net (Super User) International Sun, 16 Aug 2020 17:10:01 +0000